उत्तर प्रदेश लखनऊYOGI ADITYANATH MAY NOT VISIT UTTARAKHAND SOON

योगी ने निभाया ‘राजधर्म’..नम आंखों के साथ करते रहे मीटिंग, पिता के अंतिम संस्कार में नहीं जाएंगे

यूपी में राजनीतिक मामलों पर जबरदस्त पकड़ रखने वाले पत्रकार अंकुर सिंह का ये लेख आपको जरूर पढ़ना चाहिए। आंखें नम होने के बाद भी सीएम योगी किस तरह से राजधर्म का पालन करते रहे। पढ़िए

anand singh bisht: YOGI ADITYANATH MAY NOT VISIT UTTARAKHAND SOON
Image: YOGI ADITYANATH MAY NOT VISIT UTTARAKHAND SOON (Source: Social Media)

लखनऊ: सुबह के 10.30 बजे..लोकभवन की जगह आज टीम 11 की मीटिंग सीएम योगी आदित्यनाथ जी सरकारी आवास (5 केडी) पर होनी थी। मन में ये सवाल था कि क्या मुख्यमंत्री मीटिंग करेंगे? दरअसल बीती रात से अफवाहों का सिलसिला शुरू हो गया था, जिसमें उनके पिता आनंद सिंह बिष्ट के स्वास्थ्य खराब होने की सूचनाएं तैर रही थीं। खैर..रोज की तरह समयानुसार मीटिंग के लिए वो हॉल में आए। चेहरे पर साफ झलक रहा था कि वो अपने पिता के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है। आंखों की नमीं बता रही थीं कि कुछ ठीक नहीं है। बावजूद इसके राजधर्म का पालन पहली प्राथमिकता पर रखते हुए मुख्यमंत्री ने मीटिंग शुरू की। इसी बीच करीब 10 बजकर 44 मिनट के आसपास मीटिंग में मुख्यमंत्री के सबसे करीबी शख्स बल्लू राय आए और एक पर्ची मुख्यमंत्री को दी। इसे पढ़ने के बाद मुख्यमंत्री ने किसी से बात कराने का निर्देश बल्लू को दिया। आगे पढ़िए

बात महज एक मिनट की रही होगी और सीएम ने फोन पर कहा कि वो मीटिंग के बाद फिर बात करेंगे। बल्लू चले गये मुख्यमंत्री कुछ सेकंड के लिए शांत हो गए। फिर उन्होंने मीटिंग में अधिकारियों से सवाल-जवाब करना शुरू कर दिया। इस बीच सभी ने देखा कि सीएम योगी की आंखें नम हो चुकी हैं। शायद उधर से उन्हें पिता के निधन का समाचार मिला था, लेकिन मुख्यमंत्री होने के नाते उन्होंने प्रदेश की जनता को सर्वोपरि रखा। वो कोविड से लड़ने की रणनीति बनाने की मीटिंग करते रहे। पिता के निधन का समाचार मिलने के बाद भी मुख्यमंत्री की कार्यशैली वैसे ही चलती रही। आंखों में नमी उनके दुख का सबूत थी तो दूसरी तरफ 23 करोड़ जनता की सुरक्षा का फर्ज। अपने पिता के निधन के बावजूद उन्होंने राजधर्म को प्राथमिकता दी। उसे निभाया। इसके बाद सीएम योगी ने एक संदेश दिया..आगे पढ़िए

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने पिता के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि अपने पूज्य पिताजी के कैलाशवासी होने पर मुझे भारी दुख एवं शोक है। वे मेरे पूर्वाश्रम के जन्मदाता है। जीवन में ईमानदारी, कठोर परिश्रम एवं निस्वार्थ भाव से लोक मंगल के लिए समर्पित भाव के साथ कार्य करने का संस्कार बचपन में उन्होंने मुझे दिया। अंतिम क्षणों में उनके दर्शन की हार्दिक इच्छा थी, परन्तु वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के खिलाफ देश की लड़ाई को उत्तर प्रदेश की 23 करोड़ जनता के हित में आगे बढ़ाने का कर्तव्यबोध के कारण मैं न कर सका। कल 21 अप्रैल को अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में लॉकडाउन की सफलता और महामारी कोरोना को परास्त करने की रणनीति के कारण भाग नहीं ले पा रहा हूं। पूजनीया मां, पूर्वाश्रम से जुड़े सभी सदस्यों से भी अपील है कि वे लॉकडाउन का पालन करते हुए कम से कम लोग तिम संस्कार के कार्यक्रम में रहें। पूज्य पिताजी की स्मृतियों को कोटि-कोटि नमन करते हुए उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा हूं। लॉकडाउन के बाद दर्शनार्थ आऊंगा।