उत्तराखंड उत्तरकाशीYamunotri highway will pass through the longest tunnel of uttarakhand

ऑल वेदर रोड..ये है उत्तराखंड की सबसे लंबी सुरंग, इस हाईटेक प्रोजक्ट की खास बातें जानिए

उत्तराखंड की सबसे लंबी सुरंग बनाने में आधुनिक यूरोपियन तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। यहां हाईटेक वेंटिलेशन उपकरण लगेंगे, एनएचआइडीसीएल का अग्निशमन दस्ता भी यहां मौजूद रहेगा...

उत्तराखंड की सबसे लंबी सुरंग: Yamunotri highway will pass through the longest tunnel of uttarakhand
Image: Yamunotri highway will pass through the longest tunnel of uttarakhand (Source: Social Media)

उत्तरकाशी: उत्तरकाशी क्षेत्र जल्द ही प्रदेश की सबसे लंबी सड़क सुरंग के लिए जाना जाएगा। यमुनोत्री हाईवे पर उत्तराखंड की सबसे लंबी सुरंग बन रही है। निर्माण कार्य प्रगति पर है। सुरंग का निर्माण ऑलवेदर रोड परियोजना के तहत हो रहा है। यमुनोत्री हाईवे पर सिलक्यारा पोल गांव के पास बन रही सुरंग से चारधाम यात्रा सुखद और सुविधाजनक बनेगी। क्षेत्रीय लोगों को भी इससे फायदा होगा। सफर आसान और सुरक्षित हो जाएगा। चलिए अब आपको प्रोजेक्ट की खास बातें बताते हैं। प्रोजेक्ट के तहत यमुनोत्री हाईवे पर 3.5 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाई जाएगी। सुरंग का काम तेजी से आगे बढ़ रहा है और 900 मीटर सुरंग बनकर तैयार हो गई है। एनएचआइडीसीएल सुरंग निर्माण के कार्य को मॉनिटर कर रहा है। सुरंग बनाने में आधुनिक यूरोपियन तकनीकी का इस्तेमाल किया जा रहा है। आगे जानिए इस प्रोजक्ट की खास बातें

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उत्तराखंड की सबसे लंबी सुरंग में हाईटेक वेंटिलेशन उपकरण लगेंगे। फायर सेफ्टी के इंतजाम किए जाएंगे। एनएचआइडीसीएल का अग्निशमन दस्ता भी यहां मौजूद रहेगा। सुरंग के हर सिस्टम पर हाईटेक सीसीटीवी कैमरों से नजर रखी जाएगी, ताकि किसी भी अनहोनी के वक्त समय रहते मदद पहुंचाई जा सके। डबल लेन सुरंग का एक भाग रिजर्व रहेगा, जिसे आपातकालीन स्थिति में गाड़ियों को निकालने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। सुरंग निर्माण पर 800 करोड़ की लागत आएगी। इसके बन जाने से गंगा घाटी और यमुना घाटी के बीच फासला 26 किलोमीटर तक कम हो जाएगा। यमुनोत्री की दूरी भी कम होगी। इस वक्त यमुनोत्री तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को राड़ी टॉप से होकर गुजरना पड़ता है। धरासू से यमुनोत्री के आखिरी सड़क पड़ाव जानकीचट्टी की दूरी 106 किमी है। रास्ते में कई भूस्खलन जोन हैं। बर्फबारी के दौरान लोगों को 7000 फीट की ऊंचाई पर स्थित राड़ी टॉप से होकर जाना पड़ता है। सुरंग बन जाने के बाद यात्रियों और स्थानीय लोगों को राड़ी टॉप से नहीं जाना पड़ेगा। यात्रा निरापद और सुरक्षित बनेगी।