उत्तराखंड टिहरी गढ़वालVehicles will run on dobra chanti bridge tehri lake from march

टिहरी झील पर एशिया का सबसे लंबा सस्पेंशन ब्रिज, मार्च से शुरू होगी आवाजाही..जानिए खूबियां

डोबरा-चांठी पुल (dobra chanti bridge tehri lake) बनकर तैयार है। मार्च में पुल पर वाहनों की आवाजाही शुरू हो जाएगी। ये जानकारी सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लंबगांव में हुए एक कार्यक्रम में दी।

dobra chanti bridge tehri lake: Vehicles will run on dobra chanti bridge tehri lake from march
Image: Vehicles will run on dobra chanti bridge tehri lake from march (Source: Social Media)

टिहरी गढ़वाल: टिहरी-उत्तरकाशी के लोगों का सालों का इंतजार खत्म होने वाला है। प्रतापनगर की लाइफलाइन कहा जाने वाला डोबरा-चांठी पुल (dobra chanti bridge tehri lake) बनकर तैयार है। मार्च में पुल पर वाहनों की आवाजाही शुरू हो जाएगी। ये जानकारी सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लंबगांव में हुए एक कार्यक्रम में दी। सीएम शनिवार को प्रतापनगर के देवलगांव स्थित ओणेश्वर मेले के समापन समारोह में बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने क्षेत्र के लिए कई बड़े ऐलान किए। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि डोबरा-चांठी पुल प्रतापनगर की लाइफलाइन बनेगा। चलिए अब आपको इस पुल की खास बात बताते हैं। डोबरा-चांटी पुल (dobra chanti bridge tehri lake) की कुल लंबाई 725 मीटर है। जिसमें 440 सस्पेंशन ब्रिज हैं। पुल की कुल चौड़ाई 7 मीटर है। पुल के दोनों तरफ फुटपाथ बनाया जा रहा है। मोटर मार्ग की चौड़ाई 5.50 मीटर है, जबकि फुटपाथ की चौड़ाई 0.75 मीटर है। पुल बनने से क्षेत्र में बसी ढाई लाख आबादी को फायदा होगा।पुल निर्माण का कार्य पूरा हो गया है, मार्च में इसे आवाजाही के लिए खोल दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि ओणेश्वर में बहुत शानदार मंदिर बनाया गया है। वो यहां पहले भी कई बार आ चुके हैं। उन्होंने ओणेश्वर मंदिर में टाइल की जगह स्थानीय पत्थरों का इस्तेमाल करने की सलाह दी। मुख्यमंत्री ने ओणेश्वर मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिए सरगांव में केंद्रीय विद्यालय रोड की मरम्मत की घोषणा की।

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जब से टिहरी डैम बना है, तब से प्रतापनगर और उत्तरकाशी जिले के गाजणा पट्टी के गांव अलग-थलग पड़े हैं। इन इलाकों में करीब ढाई लाख लोगों की आबादी है। जल्द ही ये लोग डोबरा-चांठी पुल (dobra chanti bridge tehri lake) के जरिए सड़क सेवाओं से जुड़ जाएंगे। शुरुआत में इस पुल के लिए राज्य सरकार ने 135 करोड़ का बजट दिया था, पर अब तक इस काम में 250 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। पीडब्ल्यूडी की कार्यदायी संस्था पुल निर्माण के काम को अंतिम रूप देने में जुटी है। साल 2006 से पुल का निर्माण कार्य चल रहा है। अब ये पूरा होने वाला है। इलाके के लोग खुश हैं। टिहरी झील के बाद क्षेत्र में बन रहा एशिया का ये सबसे बड़ा पुल उत्तराखंड के लिए ही नहीं पूरे देश के लिए बड़ी उपलब्धि साबित होगा।