उत्तराखंड देहरादूनSoochna vibhag dehradun news

उत्तराखंड सूचना विभाग का ये अधिकारी ‘कोरोना’ से कम नहीं, इनका इलाज क्या है?

ये अधिकारी महोदय अगले साल रिटायर होने वाले हैं। उत्तराखंड के नही हैं पर ताउम्र यहीं नौकरी की, फिर भी उत्तराखंड को नहीं समझ पाए।

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Image: Soochna vibhag dehradun news (Source: Social Media)

देहरादून: देहरादून। उत्तराखंड का सूचना और लोक संपर्क विभाग। विभाग का काम सरकार की योजनाओं का प्रचार प्रसार करना ही है। इस काम को विभाग कर भी रहा है लेकिन अनुभवहीन उम्रदराज रिटायरमेंट की दहलीज पर खड़े एक अधिकारी के काम ने पूरे विभाग पर ही सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। ये अधिकारी महोदय अगले साल रिटायर होने वाले हैं। उत्तराखंड के नही हैं पर ताउम्र यहीं नौकरी की, फिर भी प्रदेश को नहीं समझ पाए। सुना है आजकल इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को विज्ञापन देने का चार्ज इसी अधिकारी के पास है। ये महोदय मीडिया वालों के हर सवाल पर महानिदेशक के आदेश का हवाला दे देते हैं। बार बार महानिदेशक के आदेश का हवाला देकर खुद को एक बाबू की तरह होने का परिचय भी देते हैं और हर गलत तर्क पर महानिदेशक के आदेश का हवाला देकर महानिदेशक की भी बेइज़्ज़ती कराते हैं। इन साहेब का हर सवाल पर जवाब होता है कि मुझे ऊपर से आदेश मिला है कि ऐसा ही कराया जाए। tv चैनलों के तमाम लोग आजकल इसी अधिकारी की बातों की चर्चा करते देखे जा रहे हैं। जब भी किसी विज्ञापन या विज्ञापन रूपी खबर में बदलाव करवाया जाता है और उस पर मीडियाकर्मी सवाल करता है तो ये अधिकारी जी बस यही कहते हैं कि मुझे ऊपर से आदेश हुआ है। चाहो तो ऊपर डायरेक्ट बात कर लो। अधिकारी जी से अगर कहा जाता है कि आप ही इस बारे में पूछ लो तो महोदय महानिदेशक का हवाला देकर झुंझला जाते हैं और कहते हैं कि मैं नही पूछुंगा। आदेशों से तंग आ गया हूं। रिटायर होने वाला हूं। मेरे वश का नही है। साहेब का हाल ये है कि बस पत्रकारों से बस खुद का रिश्ता ठीक रखना चाहते हैं चाहे पूरे विभाग की छीछालेदर हो। कुछ चुनिंदा पत्रकारों को महाशय अलग ले जाकर चायपान के बाद धूम्रपान और रजनीगंधा तुलसी का सेवन करने आफिस की बालकनी और छत पर ले जाते हैं। इसके बाद महानिदेशक और महानिदेशालय के पहाड़वासी अधीक्षक अधिकारी की चुगली की जाती है।