उत्तराखंड टिहरी गढ़वालKamlesh bhatt dead body can reach india on Sunday

गढ़वाल: कमलेश की मां का रो-रोकर बुरा हाल...आखिर कब लौटेगा मेरा लाल ?

सेमवाल गांव में रहने वाले परिवार के बेटे की दुबई में मौत हो गई, इसका दुख तो था ही, लेकिन परिवार को दूसरा झटका तब लगा जब दुबई से बमुश्किल भारत आया बेटे का शव वापस दुबई भेज दिया गया, इस परिवार की तकलीफ का हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते...

Uttarakhand News: Kamlesh bhatt dead body can reach india on Sunday
Image: Kamlesh bhatt dead body can reach india on Sunday (Source: Social Media)

टिहरी गढ़वाल: लॉकडाउन के दौरान उन परिवारों को दोहरे दुख और पीड़ा से गुजरना पड़ रहा है, जिन्होंने अपने करीबियों को खो दिया। टिहरी गढ़वाल का एक परिवार भी इस वक्त ऐसे ही पहाड़ जैसे दुख का सामना कर रहा है। परिवार के बेटे की दुबई में मौत हो गई, इसका दुख तो था ही, लेकिन परिवार को दूसरा झटका तब लगा जब दुबई से बमुश्किल भारत आया बेटे का शव लॉडाउन की वजह से वापस दुबई भेज दिया गया। जिन माता-पिता ने बेटे को गोद में खिलाया, उसके लिए कई सपने देखे, वो उसके अब तक अंतिम दर्शन भी ना कर सके। अब मां का घर में रो-रोकर बुरा हाल है। कमलेश की मां का बस इतना कहना है कि उनके बेटे के शव को भारत भेजा जाए। पिता हरि प्रसाद और भाई सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं। आखिरी बार कमलेश अपनी बहन की शादी में गांव आया था। उस दौरान कई बातें हुई होंगी और फिर से लौटने का वादा भी किया होगा लेकिन एक खबर ने सभी को स्तब्ध कर दिया।


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समाजसेवी रोशन रतूड़ी अपनी पूरी कोशिश में जुटे हैं कि किसी भी तरह से कमलेश के परिवार की मदद की जाए। टिहरी गढ़वाल के सकलाना पट्टी में एक गांव है सेमवाल गांव। यहां रहने वाला कमलेश भट्ट दुबई में जॉब करता था। 16 अप्रैल को हार्ट अटैक से उसकी मौत हो गई। परिवार वाले पिछले कई दिन से बेटे का शव उत्तराखंड पहुंचने का इंतजार कर रहे थे। लेकिन परेशानी यहीं खत्म नहीं हुई। लॉकडाउन के कारण देश में बनी स्थितियों के कारण बड़ी मुश्किलों से भारत पहुंचे कमलेश के शव को वापस लौटाया गया। कमलेश भट्ट का एक छोटा भाई है और वो बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं। कमलेश के पिता का नाम हरी प्रसाद है। कमलेश लगभग 25 साल का था और वो लगभग 3 साल से आबूधाबी काम कर रह रहा था। कमलेश साल भर में घर आता था, पिछले साल वो मई में अपनी बहन की शादी में 15 दिन की छुट्टी में घर आया था। आगे पढ़िए