उत्तराखंड चमोलीStory behind shankh in badrinath dham

अद्भुत रहस्य: विष्णु जी को बेहद प्रिय है शंख, फिर भी बदरीनाथ में शंख नहीं बजता..जानिए क्यों

भगवान विष्णु को शंख बहुत प्रिय है, मगर उनके आवास यानी कि बदरीनाथ धाम में शंखनाद नहीं होता है। जानिए ये कहानी और ये वीडियो भी देखिए

Badrinath shankh: Story behind shankh in badrinath dham
Image: Story behind shankh in badrinath dham (Source: Social Media)

चमोली: उत्तराखंड की पावन देवभूमि को कई आशीर्वाद प्राप्त हैं। अपनी प्राकृतिक सुंदरता और खूबसूरत वादियों के लिए जाना जाने वाला उत्तराखंड राज्य अपने अंदर कई पहलू समेटे बैठा है। कहा जाता है कि देवभूमि कही जाने वाली इस शुद्ध धरती को देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त है। धार्मिक लिहाज से देखें तो उत्तराखंड की सभ्यता, इसकी संस्कृति ही उत्तराखंड की असली पहचान है। पूजा-पाठ, देवी-देवताओं में लोगों की अपार श्रद्धा है। लोगों की ऐसी ही श्रद्धा भगवान बदरीविशाल के ऊपर है। आज बदरीनाथ धाम के कपाट तड़के सुबह खोल दिए गए हैं। बदरीनाथ धाम के एक अनोखे पहलू से आज हम आपका परिचय कराने जा रहे हैं। क्या आप यह जानते हैं कि बदरीनाथ धाम में शंखनाद नहीं होता? जी हां, यह थोड़ी अचंभित करने वाली बात है क्योंकि शंख तो भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है। यहां तक कि सभी तस्वीरों में भगवान विष्णु के साथ उनका शंख भी देखा जाता है, मगर बदरीनाथ धाम में शंख ध्वनि नहीं सुनाई देती। आगे पढ़िए

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इस के पीछे एक मान्यता है। बदरीनाथ के धर्माधिकारी आचार्य भुवन चंद्र उनियाल ने इस बारे में राज्य समीक्षा को कई बातें बताई। आचार्य कहते हैं कि बदरीधाम में शंख इसलिए नहीं बजता क्योंकि बदरीनाथ में बदरी नारायण भगवान ध्यानमुद्रा में मग्न हैं। शंख का अर्थ आह्वान होता है। इसलिए भगवान का ध्यान न टूटे...इसलिए यहां शंख नहीं बजता। इसी कड़ी में आचार्य भुवन चंद्र उनियाल ने एक और बात बताई । ऐसा माना जाता है कि यहां मां लक्ष्मी ने तुलसी के रूप में तपस्या करती हैं। यहां वृंदा यानी तुलसी का विवाह शंखचूड़ राक्षस से हुआ था, जो कि शापित था। वंदा को शंखचूण का स्मरण न हो, इसलिए बद्रिकाश्रम में शंख नहीं बजता।

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