टिहरी गढ़वाल: उत्तराखंड में रिवर्स माइग्रेशन जरूरत बन चुका है। पिछले कुछ वर्षों में सुनसान होते गांव की पीड़ा शायद ही कोई समझे। शहरों की घुटन भरी जिंदगी से कई गुना अच्छी गांव की सुकूनभरी जिंदगी है। ऐसे में जरूरत है कि युवा गांव की ओर वापस आएं और स्वरोजगार अपनाएं। लॉकडाउन के कारण बेरोजगार हुए युवा भी गांव की ओर लौट चले हैं, ऐसे में उनको भी स्वरोजगार की तरफ कदम बढ़ाने चाहिए।यह युवाओं की गलतफहमी है कि पहाड़ों पर स्वरोजगार अपनाने से आमदनी नहीं हो पाएगी। कितने ऐसे अनोखे स्टार्टअप हैं जो कम खर्च में काफी मुनाफा देते हैं। मुर्गी पालन उनमें से एक है। टिहरी के कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में स्वयं सहायता समूह के जरिए कुछ लोगों ने न केवल इस बात को साबित किया है बल्कि स्वरोजगार की दिशा में एक कामयाब कदम भी उठाया है। विकासखंड थौलधार के वैष्णव स्वयं सहायता समूह कोटि डोभालों ने एनआरएलएम के तहत महज 4 महीने पहले कड़कनाथ मुर्गों की पोल्ट्री फार्म की शुरुआत की थी। मुर्गी पालन के इस प्रोजेक्ट में में 4 महीने में तकरीबन 1 लाख 20 हजार मुर्गियों की खरीद सहित खर्च हो गए हैं जिसमें 4 लाख का लाभ हुआ है।
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ब्लॉक मिशन प्रबंधक एनआरएलएम थौलधार रहमत हुसैन ने बताया था कि दुर्गा स्वयं सहायता समूह कोटी डोभालों ने 1400 और बैष्णव सहायता समूह तिखोन ने तकरीबन 4 माह पहले 600 कड़कनाथ मुर्गों की प्रजाति खरीदी थी। प्रोजेक्ट में अबतक 1 लाख 20 हजार तक मुर्गियों की खरीद सहित ख़र्च हो गए हैं और मुनाफा तगड़ा हुआ है। 4 महीने में लगभग 4 लाख की आमदनी हुई है। आप लोगों को बता दें कि कड़कनाथ मुर्गों का कारोबार बेहद फायदे का सौदा है। महज 4 से 5 महीने में यह बड़ा हो जाता है और बाजार में 1500-1800 तक में बिक जाता है। लोग कड़कनाथ मुर्गे को स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होने की वजह से भी खरीदते हैं। इस मुर्गे की खासियत है कि इसका खून और रंग काला रंग का होता है। टिहरी में सहायता समूहों ने जो कड़कनाथ मुर्गों की पोल्ट्री फार्मिंग शुरू की है उससे उनको काफी फायदा हो रहा है। एक हफ्ते में कम से कम 12,000 तक की मुर्गियां और अंडे बिक चुके हैं। बाजार में इसका अंडा 45 से 50 तक कि रेंज में बिकता है। रहमत हुसैन ने बताया कि स्वरोजगार के लिए पोल्ट्री फार्मिंग बहुत ही शानदार विकल्प है। उन्होंने कहा है कि जो युवा नौकरी छोड़ कर गांव आ चुके हैं और रोजगार करना चाह रहे हैं उन्हें एनआरएलएम पूरा सहयोग देगा।