उत्तराखंड उधमसिंह नगरUttarakhand Shaheed Dev Bahadur

उत्तराखंड का सपूत बॉर्डर पर शहीद, 4 साल पहले ही हुआ था सेना में भर्ती

सेना के जवान देव बहादुर शनिवार की रात लद्दाख में हुए डायनामाइट ब्लास्ट में शहीद हो गए। देव बहादुर सिर्फ 24 साल के थे, वो चार साल पहले ही सेना में भर्ती हुए थे...

Uttarakhand Shaheed Dev Bahadur: Uttarakhand Shaheed Dev Bahadur
Image: Uttarakhand Shaheed Dev Bahadur (Source: Social Media)

उधमसिंह नगर: उत्तराखंड का एक और लाल मातृभूमि की रक्षा करते हुए शहीद हो गया। प्रदेश के लिए आज एक बुरी खबर लद्दाख बॉर्डर से आई। जहां पहाड़ के एक और जांबाज ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। सेना के जवान देव बहादुर शनिवार की रात लद्दाख में हुए डायनामाइट ब्लास्ट में चल बसे। देव बहादुर सिर्फ 24 साल के थे। जब से उनकी शहादत की खबर घर पहुंची है, परिवार में कोहराम मचा है। गांव में मातम पसरा है। जवान देव बहादुर का परिवार किच्छा क्षेत्र के गौरीकला में रहता है। शनिवार रात देव बहादुर अपने ड्यूटी क्षेत्र में गश्त कर रहे थे। इसी दौरान जवान का पैर जमीन पर बिछी डायनामाइट पर पड़ गया। जिससे तेज धमाका हुआ और देव बहादुर शहीद हो गए। जवान देव बहादुर साल 2016 में भारतीय सेना का हिस्सा बने थे। आगे पढ़िए

  • सेना ज्वाइन किए हुए सिर्फ चार साल

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    उन्हें सेना ज्वाइन किए हुए अभी सिर्फ चार साल हुए थे। वो गोरखा रेजीमेंट का हिस्सा थे। बेटे के सेना में भर्ती होने से परिवार बहुत खुश था। परिवार को देव बहादुर से ढेरों उम्मीदें थीं, लेकिन सिर्फ चार साल के भीतर ही परिवार के सारे सपने बिखर गए। जवान के निधन से परिवार के साथ गांव और रिश्तेदार भी सदमे में हैं। देव बहादुर उस परिवार का हिस्सा थे, जिसने सेना को दो जांबाज दिए हैं। देव बहादुर के बड़े भाई किशन बहादुर भी भारतीय सेना में हैं। इस वक्त उनकी पोस्टिंग ग्वालियर में है। शहीद के बड़े भाई ने बताया कि लद्दाख बॉर्डर पर गश्त के दौरान देव बहादुर हादसे का शिकार हो गए।

  • गांव में पसरा मातम

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    देर रात 11 बजे जवान देव बहादुर की शहादत की खबर जैसे ही उनके घर पहुंची, वहां मातम पसर गया। परिवार वाले सदमे में हैं। गांव में शोक छाया है। शहीद देव बहादुर के परिवार में तीन भाई और एक बहन हैं। वे दूसरे नम्बर के थे। जवान की शहादत की खबर मिलने पर क्षेत्रीय विधायक राजेश शुक्ला शहीद के घर पहुंचे और परिजनों को सांत्वना दी। परिजन शहीद के अंतिम दर्शनों का इंतजार कर रहे हैं। शहीद का पार्थिव शरीर आज उनके पैतृक निवास पर पहुंचने की उम्मीद है।