देहरादून: उत्तराखंड में सरकारी तंत्र का गजब हाल है। यहां अधिकारी विभागीय मंत्रियों की बैठक को जरा भी सीरियसली नहीं लेते। पिछले महीने शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक की समीक्षा बैठक से सारे विभागीय अधिकारी और सचिव नदारद मिले थे। कुछ इसी तरह का नजारा देहरादून में एक बार फिर देखने को मिला। यहां खेल मंत्री की बैठक में अधिकारी-पदाधिकारी मौजूद तो थे, लेकिन वो बैठक में होकर भी ‘नहीं’ थे। दरअसल पूरी बैठक के दौरान इन पदाधिकारियों का ध्यान मंत्री जी की बात पर कम सेल्फी खींचने पर ज्यादा लगा रहा। सेल्फी लेना बुरी बात नहीं है। अब हर हाथ में मोबाइल पहुंच गया है, तो जाहिर सी बात है सेल्फी का शौक भी कुलांचे भरेगा ही, लेकिन ये शौक बीमारी बन जाए, ये सही नहीं है। चलिए आपको पूरा मामला बताते हैं। देहरादून में मंगलवार को खेल विभाग की बैठक चल रही थी। खेल मंत्री अरविंद पांडेय विभागीय अधिकारियों-पदाधिकारियों की बैठक ले रहे थे। लेकिन बैठक में मौजूद खेल संघों से जुड़े पदाधिकारी खेल मंत्री की बातों पर ध्यान न देकर सेल्फी लेने में व्यस्त नजर आए। ये बैठक प्रदेश में खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए बुलाई गई थी। आगे पढ़िए
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सचिवालय में हुई बैठक में खिलाड़ियों को अच्छा प्लेटफार्म उपलब्ध कराने पर चर्चा चल रही थी, लेकिन इस अहम बैठक में मौजूद कुछ पदाधिकारी पूरी मीटिंग के दौरान सेल्फी लेने में बिजी रहे। खेल मंत्री बैठक लेते रहे और हॉल में बैठे कुछ अधिकारी और पदाधिकारी उनकी बात सुनने की बजाय सेल्फी खींचने में मशरूफ रहे। सचिवालय से आई बैठक की ये तस्वीर देखकर इस बात का अंदाजा खुद लगाया जा सकता है कि आखिर क्यों उत्तराखंड में खेल और खिलाड़ी हाशिए पर धकेल दिए गए हैं। जिन लोगों पर खेलों में सुधार और खिलाड़ियों को बेहतर प्लेटफार्म मुहैया कराने की जिम्मेदारी है, उन्हें तो इससे ज्यादा ‘सेल्फी’ प्यारी है। वहीं इस बारे में जब खेल मंत्री अरविंद पांडेय से बात की गई तो उन्होंने कहा कि बैठक में कौन सेल्फी ले रहा था, इस बारे में उन्हें जानकारी नहीं है। हालांकि बैठक में मौजूद अधिकारियों और पदाधिकारियों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बैठक की मर्यादा बनी रहे। कोई भी बैठक हो उसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।