देहरादून: पहाड़ के हुनरमंद युवा पहाड़ी गीतों को एक अलग कलेवर में पेश कर इसे देश-दुनिया के मंच पर प्रमोट कर रहे हैं। आज हम आपको टीम टोर्नाडो का ऐसा पहाड़ी रैप दिखाएंगे, जो आपको खुद के पहाड़ी होने पर गर्व का अहसास कराएगा। कुछ लोगों को रैप कानफोड़ू लगता है, लोकगीतों के साथ एक्सपेरिमेंट्स से उनका गला सूखने लगता है, लेकिन हमारा मानना है कि संगीत एक ऐसी विधा है जिसमें समय-समय पर बदलाव हुए हैं और अगर ये बदलाव अच्छा रिजल्ट देते हैं। युवाओं को पहाड़ की संस्कृति की तरफ खींचते हैं, तो इसमें कुछ बुरा भी नहीं है। इनके माध्यम से पहाड़ी लोक संगीत देश-दुनिया में अलग पहचान बना रहा है। उत्तराखंड के युवा रैपर्स की टीम टोर्नाडो यही काम कर रही है। टीम टोर्नाडो एक बार फिर अपने नए रैप ‘पहाड़ी है फील’ के साथ हाजिर हुई है। इसे एक गीत क्या कहें, पूरा पैकेज ही समझ लो। आगे देखिए वीडियो
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वीडियो में जबर्दस्त रैप है, जो हिंदी के साथ-साथ गढ़वाली में भी है। जिन लोगों को लगता है कि गढ़वाली में रैप ज्यादा असरदार साबित नहीं होगा। उन्हें ये गीत अपनी आंखें और अपना दिमाग खोलकर देखने की जरूरत है। ‘पहाड़ी है फील’ हमें बताता है कि पहाड़ी होने के लिए सिर्फ पहाड़ी कपड़े या टोपी पहनना जरूरी नहीं है। ये एक अहसास है, जिसे हमें दिल से महसूस करना चाहिए। पहाड़ीपने पर गर्व फील करना चाहिए। सचिन और अमित के साथ-साथ मोहित गुसांई ने भी ‘पहाड़ी है फील’ पर शानदार काम किया है। सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्म पर इसे हजारों-लाखों बार देखा गया। शेयर किया गया। वीडियो जबर्दस्त है, एक बार देखिएगा जरूर। ढोल-दमाऊं पर रैप सुनना सचमुच नया और अनोखा अहसास है। आगे देखिए वीडियो
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डायरेक्शन मोहित गुसांईं का है। चलिए अब आपको ‘पहाड़ी है फील’ का वीडियो दिखाते हैं, उम्मीद है हजारों लोगों की तरह आपको भी ये जरूर पसंद आएगा। आगे देखें वीडियो