पहाड़ों पर बंदरों का आतंक अपने चरम पर है। लगभग पहाड़ के सभी गांव के लोग हर पल यह चिंता में रहते हैं कि बंदरों का झुंड कहीं धमक न पड़े और उनकी मेहनत को तहस-नहस न कर दे। बंदरों की तादात में बढ़ोतरी होना बेहद चिंताजनक बात है। लोगों की मेहनत से उगाई गई फसल को नष्ट कर पहाड़ों पर बंदर तांडव मचा रहे हैं और उनको बर्बाद कर रहे हैं। बंदर झुंड में आते हैं और लोगों के खेत-खलिहानों में फसलों को बर्बाद करके वहां से चलते बनते हैं। ऐसे में लोगों को सतर्क रहना पड़ता है। कई बार बंदरों को भगाते समय लोग गंभीर हादसों का शिकार हो जाते हैं। ऐसा ही कुछ पिथौरागढ़ के विकासखंड स्थित मुनस्यारी के दूरस्थ गांव बौना में हुआ है। बौना में खेतों में हुड़दंग मचाने आए बंदरों के झुंड को भगाते समय एक ग्रामीण 200 मीटर गहरी खाई में जा गिरा और उसकी उसी वक्त मृत्यु हो गई। खाई इतनी गहरी थी कि ग्रामीणों को शव को निकालने में 1 दिन लग गया। हादसे के दूसरे दिन शव को निकाला गया।
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चलिए अब आपको पूरी घटना से अवगत कराते हैं। घटना पिथौरागढ़ के मुनस्यारी के दूरस्थ गांव बौना की है। बता दें कि अन्य गांवों की तरह बौना गांव में भी बंदरों का आतंक अपने चरम पर है और बंदरों के झुंड सबके खेत एवं खलिहानों को नष्ट कर रहे हैं। वे झुंड में आते हैं और खेती में फसल समेत सभी फलों को चुराकर और सब तहस-नहस कर चले जाते हैं। प्रमुख आलू राजमा और सेब के उत्पादक दूरस्थ गांव बौना में लोग बंदरों के आतंक से बेहद परेशान हैं। ग्रामीण फसलों को बंदरों से बचाने के लिए खेतों पर पहरा देते हैं। गांव के निवासी ललित सिंह मपवाल हाल ही ने भी अपने खेतों को बंदरों से बचा रहे थे। जब वह बंदरों के झुंड को भगाने लगे तो उनका पैर फिसल कर खाई में जा गिरा और खाई में गिरने से ललित सिंह की मृत्यु हो गई। खाई में गिरने की जानकारी मिलते ही ग्रामीण बचाव में जुट गए और और तकरीबन दो सौ मीटर गहरी खतरनाक खाई में दूसरे दिन ग्रामीणों को उनका शव मिला।