उत्तराखंड नैनीतालBuilding a house can be cheaper in Uttarakhand

उत्तराखंड: पहाड़ में घर बनाना होगा सस्ता..इन नियमों में मिल सकती है छूट

बिल्डिंग बायलॉज में सैट बैक, फ्रंट बैक और पार्किंग के मानकों में छूट की संभावनाओं पर विचार किया जा रहा है। ऐसा होने पर पहाड़ में घर बनाना सस्ता पड़ेगा।

Uttarakhand Building Bylaws: Building a house can be cheaper in Uttarakhand
Image: Building a house can be cheaper in Uttarakhand (Source: Social Media)

नैनीताल: पहाड़ी इलाकों में आशियाना बनाने की चाह रखने वालों को बड़ी राहत मिल सकती है। बिल्डिंग बायलॉज में जरूरी बदलाव किए जाने की तैयारी चल रही है। ऐसा हुआ तो पहाड़ी जिलों में घर बनाने वालों के लिए घर का नक्शा पास कराना सस्ता हो जाएगा। और भी कई छूट मिलने की संभावना है। पहाड़ में फॉर्मिंग लायक जमीन है, लेकिन निर्माण लायक भूमि की कमी है। यही वजह है कि बिल्डिंग बायलॉज में सैट बैक, फ्रंट बैक और पार्किंग के मानकों में छूट की संभावनाओं पर विचार किया जा रहा है। ऐसा होने पर पहाड़ में घर बनाना सस्ता पड़ेगा। दरअसल जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण को लेकर लोगों के मन में नाराजगी है। प्राधिकरण के नियमों के चलते लोगों के लिए पहाड़ पर घर बनाना मुश्किल हो गया है। यही वजह है कि प्राधिकरणों के प्रति लोगों के मन में बैठी नाराजगी दूर करने के लिए अब पहाड़ी जिलों में छूट के दायरे को बढ़ाने की तैयारी चल रही है। इसके लिए विकास शुल्क न्यूनतम किए जा सकते हैं। साथ ही बिल्डिंग बायलॉज में भी जरूरी बदलाव किए जाएंगे। आगे पढ़िए

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जिला प्राधिकरणों पर विधानसभा की समिति की रिपोर्ट आवास विभाग को मिल चुकी है। आपको बता दें कि विधायक चंदन रामदास की अध्यक्षता में गठित समिति ने ग्रामीण क्षेत्रों को प्राधिकरण से बाहर करने की सिफारिश की थी। आवास विभाग इस प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। इस संबंध में योजना बनाने के लिए एक कमेटी गठित की गई है। जिसमें एमडीडीए के वीसी रणवीर चौहान, उडा में संयुक्त मुख्य प्रशासक आलोक पांडेय, चीफ टाउन एंड कंट्री प्लानर शशिमोहन श्रीवास्तव शामिल हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आवास विभाग प्राधिकरणों का दायरा घटाने की बजाय दूसरे ऑप्शंस पर विचार कर रहा है। पहाड़ों में नियमों में अतिरिक्त छूट देने की तैयारी चल रही है। इसके अलावा पार्किंग के मानकों, फ्रंट बैक और सैट बैक संबंधी मानकों में भी छूट दी जा सकती है। कमेटी इसे लेकर रिपोर्ट तैयार करेगी। रिपोर्ट पर अंतिम निर्णय राज्य सरकार के स्तर से होगा।