उत्तराखंड चमोलीStory of vikram Chauhan chamoli apda

चमोली आपदा में मौत को छू कर वापस आए विक्रम चौहान...कहा-मां भगवती ने दिया नया जीवन

वे आधे घंटे तक ग्लेशियर के जमा देने वाले पानी में रहे। पानी इतना ठंडा था कि उनको अपना शरीर महसूस ही नहीं हो पा रहा था। उनकी आपबीती सुनकर आपकी आंखें भी नम हो जाएंगी। Chamoli Disaster: Story of vikram Chauhan chamoli apda

Chamoli Disaster: Story of vikram Chauhan chamoli apda
Image: Story of vikram Chauhan chamoli apda (Source: Social Media)

चमोली: चमोली में आई आपदा के सदमे से समस्त उत्तराखंड अबतक उभर नहीं सका है। 7 फरवरी वह काला दिन था जिस दिन उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटा और देखते ही देखते सब कुछ तबाह हो गया। कई लोग इस आपदा में लापता हो गए हैं और कई लोगों को अपनी जान की कीमत चुकानी पड़ी है। हादसा अचानक ही हुआ जिस कारण कई लोगों को बचने का मौका तक नहीं मिला। कई लोग इस पानी के तेज बहाव में बह गए और उन्होंने इस खतरनाक मंजर को अपनी आंखों से ना केवल देखा बल्कि वे इसका शिकार भी हुए। उन्हीं में से एक हैं विक्रम सिंह चौहान जिनके बारे में आज हम आपको बताएंगे। विक्रम सिंह चौहान ने जिस तरह इस पूरे मंजर के बारे में बताया उसको सुनकर आपकी आंखें भी नम हो जाएंगी। विक्रम सिंह चौहान उन लोगों में से एक है जिन्होंने इस आपदा को बेहद करीब से महसूस किया है। वे मौत को छूकर वापस आए हैं और उनको एक नया जीवनदान मिला है।

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बीते रविवार को चमोली जिले में आई प्राकृतिक आपदा में घायल हुए विक्रम सिंह चौहान ने तकरीबन 30 मिनट तक जल प्रलय का वह तबाही वाला मंजर देखा। वे मौत के मुंह में जाकर वापस आए हैं। आपदा के साक्षी बने और गंभीर रूप से घायल हुए विक्रम सिंह चौहान का इलाज देहरादून में चल रहा है। वे 30 मिनट तक ग्लेशियर के जमा देने वाले पानी में रहे। पानी इतना ठंडा था कि उनको अपना शरीर महसूस ही नहीं हो पा रहा था। विक्रम मानते हैं कि मां भगवती के आशीर्वाद से ही वह आज जीवित हैं। चमोली आपदा में जीवित बच कर लौटने वाले विक्रम सिंह चौहान मूल रूप से लामबगड़ के निवासी हैं। उन्होंने बताया कि यह त्रासदी उनके जीवन की एक ऐसी घटना है जो वे ताउम्र नहीं भूल सकते। उनके जख्म तो समय के साथ भर जाएंगे मगर जो उन्होंने अपनी आंखों के सामने देखा, जो उन्होंने उस दिन महसूस किया और मौत को करीब से देखा वह शायद कभी नहीं भर पाएंगे। विक्रम ने बताया कि आपदा के समय जहां पर वे खड़े थे वहां पर अचानक ही 20 मीटर ऊपर पानी आ गया और पानी का बहाव इतना तेज था कि वे पानी के बहाव की चपेट में आ गए और बह गए।

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जल प्रलय की चपेट में आने के बाद वे तकरीबन 30 मिनट तक पानी में रहे। पानी इतना ठंडा था कि उनका पूरा शरीर पानी के अंदर सुन्न पड़ गया था। बर्फीले पानी से वह अपना शरीर तक नहीं महसूस कर पा रहे थे जल प्रलय की चपेट में आने के बाद में आधे।घंटे तक पानी में बहते रहे और रास्ते में आने वाले मलबा, पत्थर, बोल्डर आदि से उनका शरीर टकराता रहा और वे चोटिल होते रहे। उन्होंने जब यह कहानी बताई तो उनकी आंखों में भी आंसू आ गए। उन्होंने कहा कि जहां पर वे मौजूद थे वहां से तकरीबन ग्लेशियर ढाई किलोमीटर दूर था। ऐसे में उनको बचने का जरा भी मौका नहीं मिला और जल प्रलय आते ही वे उसकी चपेट में आ गए। उन्होंने बताया कि यह मंजर सोचते ही उनका दिल दहल जाता है। उनकी आंखों के सामने ही न जाने कितने लोगों ने अपना दम तोड़ा, कितने ही बेकसूर पानी के बहाव में बह गए और लापता हो गए।लामबगड़ के विक्रम सिंह चौहान का कहना है कि भगवान के आशीर्वाद से वे इस आपदा में जीवित बचकर लौटे हैं। उनका इलाज देहरादून के दून अस्पताल में चल रहा है।