चमोली के रैणी गांव में आई आपदा ने कई घरों के चिराग बुझा दिए। दस दिन पहले आए सैलाब ने महज कुछ ही सेकेंड में कई जिंदगियां लील लीं। आपदा में जान गंवाने वाले लोगों में प्रतापनगर ब्लॉक के रौलाकोट में रहने वाले जितेंद्र सिंह धनाई भी शामिल हैं। रविवार देर शाम चमोली प्रशासन ने जितेंद्र का शव मिलने की पुष्टि की। जितेंद्र ऋषिगंगा प्रोजेक्ट में बतौर इलेक्ट्रीशियन तैनात थे। उनकी मौत की खबर मिलते ही रौलाकोट गांव में मातम पसर गया। जितेंद्र के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। माता-पिता सुध-बुध खो बैठे हैं। बहनों के आंसू नहीं थम रहे। 30 वर्षीय जितेंद्र सिंह धनाई पिछले चार साल से ऋषिगंगा प्रोजेक्ट में काम कर रहे थे। वो पांच बहनों के एकलौते भाई थे। जितेंद्र के पिता मातबर सिंह मानसिक रूप से कमजोर हैं। ऐसे में परिवार के भरण पोषण की जिम्मेदारी जितेंद्र पर ही थी, लेकिन आपदा ने परिवार से ये सहारा भी छीन लिया।
बीते 7 फरवरी को आई आपदा ने पांच बहनों से उनके भाई को ही नहीं छीना, बल्कि परिवार का एकलौता कमाऊ सदस्य भी छीन लिया। जितेंद्र के परिवार में माता-पिता और 5 बहनों के अलावा पत्नी नीलम और बेटा है। बेटा आरुष 3 साल का है। अनहोनी से बेखबर आरुष को अब भी पिता के घर लौटने का इंतजार है। 7 फरवरी को आई आपदा के बाद से जितेंद्र लापता थे। डरे हुए परिजन जितेंद्र की सलामती की दुआ मांग रहे थे, लेकिन रविवार को जितेंद्र का शव मिलने के साथ ही हर उम्मीद टूट गई। परिवार के एकलौते सहारे के चले जाने से परिजनों पर दुखों का पहाड़ टूट गया है। गांव के लोग शासन-प्रशासन से पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा देकर जितेंद्र की पत्नी को सरकारी नौकरी देने की मांग कर रहे हैं, ताकि उनके जीवन को सहारा मिल सके। वहीं ऋषिगंगा जल प्रलय के दसवें दिन मंगलवार को तपोवन जल विद्युत परियोजना की निर्माणाधीन सुरंग में मलबा हटाने का कार्य जारी है। आज दो शव बरामद हुए हैं। क्षेत्र में अब तक कुल 58 लोगों के शव मिल चुके हैं।