उत्तराखंड चमोलीChamoli disaster Shanti Devi

चमोली आपदा: 3 मासूम बच्चों के साथ भटक रही हैं शांति देवी..11 दिन से पति की तलाश

उत्तराखंड के तपोवन में शांति देवी आपदा के बाद से अपने पति सत्य प्रसाद पुरोहित के लौटने का इंतजार कर रही हैं।

Chamoli disaster: Chamoli disaster Shanti Devi
Image: Chamoli disaster Shanti Devi (Source: Social Media)

चमोली: चमोली आपदा अपने पीछे कई सिसकती हुई आवाजों को छोड़कर चली गई है। लोग अपने परिजनों का इंतजार कर रहे हैं और वे उम्मीद कर रहे हैं कि उनके परिजन वापस जरूर आएंगे। किसी ने सच ही कहा है उम्मीद पर ही दुनिया कायम है। उम्मीद के सहारे ही हम सब जी रहे हैं। चमोली में आपदा के बाद कितने ही बेकसूर लापता हो रखे हैं और उनका पता नहीं लग पाया है और उनके परिजन अब भी इसी आस में है कि वे वापस जरूर लौट कर आएंगे। उत्तराखंड के तपोवन में किराए के मकान में रहने वाली शांति देवी भी आपदा के बाद से अपने पति के लौटने का इंतजार कर रही हैं। इंतजार बेहद लंबा होता जा रहा है, दिन बीतते जा रहे हैं लेकिन वे उम्मीद नहीं छोड़ रही हैं। उनका मानना है कि उनके पति वापस जरूर आएंगे। वे उम्मीद कर रही हैं कि उनके पति जिंदा होंगे और जल्द ही उनके पास वापस आएंगे। आपको बता दें कि नंदप्रयाग के निवासी सत्य प्रसाद पुरोहित 7 फरवरी की आपदा के बाद से लापता हो रखे हैं। तब से उनका सुराग नहीं लग पाया है। नंदप्रयाग घाट के रहने वाले सत्य प्रसाद की पत्नी और उनके तीन मासूम बच्चे हैं और वे तपोवन में किराए के मकान में रहते हैं। आगे पढ़िए

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7 फरवरी से शांति देवी का रो-रो कर बुरा हाल है और उनके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। उनका कहना है कि उनके पति को अगर कुछ हो गया तो आखिर उनका और उनके बच्चों के भविष्य का क्या होगा। आपदा के बाद से हर रोज वे अपने पति का इंतजार करती रहती हैं। वे कहती है कि उनके पति वापस लौट कर जरूर आएंगे। उनको उम्मीद है कि वे जिंदा है और सुरक्षित हैं। शांति देवी ने बताया कि उनके पति एचसीसी कंपनी में पंप ऑपरेटर थे और आपदा के वक्त वे घटनास्थल पर मौजूद थे। अभी तक उनका कोई भी पता नहीं लग पाया है। उन्होंने कहा कि मुझे पूरी उम्मीद है कि वे अपने बच्चों के पास वापस लौट आएंगे। शांति देवी का कहना है कि 4 महीने से उनके पति को वेतन नहीं मिला है जिस कारण उनकी आर्थिक परिस्थितियां भी ठीक नहीं हैं। कुछ समय पहले ही उनके पति को काम के दौरान चोट लगी थी मगर तब भी कंपनी ने उनका उपचार नहीं कराया। ऋषिगंगा की आपदा के 11वें दिन बाद भी 146 लोग लापता चल रहे हैं। अभी तक 58 शव और 25 मानव अंग बरामद हुए हैं।