चमोली: चमोली में आई जलप्रलय अपने पीछे कई रुलाने वाली कहानियां छोड़ गई। यूपी के तिकुनियां-खीरी में रहने वाले जोगीराम ऐसी ही दर्दनाक कहानी के गवाह बनकर रह गए हैं। 7 फरवरी को आई आपदा ने जोगीराम से उनके बेटे गौरीशंकर को छीन लिया। आपदा के बाद जब तबाही की तस्वीरें आने लगीं तो जोगीराम अपने लाडले को खोजने के लिए खुद चमोली आ पहुंचे। वो लगातार 17 दिन तक भूख-प्यास सब भूलकर बेटे को तलाशते रहे, लेकिन जब बेटा नहीं मिला तो मंगलवार को वो मायूस होकर घर लौट गए। हर तरफ से नाउम्मीद हो चुके जोगीराम ने कलेजे पर पत्थर रखकर अपने बेटे गौरीशंकर का पुतला बनाकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया है। माता-पिता गरीब हों या अमीर, सब अपने बच्चों को कलेजे से लगाकर पालते हैं। उसकी हर खुशी का ध्यान रखते हैं। सोचिए उन लोगों पर क्या गुजर रही होगी, जिन्हें अपने हाथों से बेटों का पुतला बनाकर उन्हें चिता पर रखना पड़ रहा है। ये सब सोचकर ही रूह कांप जाती है। जोगीराम बताते हैं कि उनका 22 साल का बेटा गौरीशंकर क्षेत्र के ही शेर सिंह और रामू के साथ मजदूरी करने चमोली गया था।
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7 फरवरी को जब सैलाब आया तो वो बेटे को खोजने के लिए खुद चमोली आ गए। तभी से वो यहां अपने जवान बेटे की तलाश में दर-दर की ठोकरें खा रहे थे। 17 दिन बाद भी जब बेटा नहीं मिला तो परिवार ने उसके जिंदा होने की हर उम्मीद छोड़ दी। मंगलवार को जोगीराम निराश होकर अपने गांव लौट गए। यहां घरवालों ने लापता गौरीशंकर का पुतला बनाकर उसका अपनी बिरादरी के रीति-रिवाजों के हिसाब से अंतिम संस्कार कर दिया। जोगीराम बताते हैं कि तपोवन में बेटे की कंपनी ने उनके रहने-खाने की व्यवस्था की और घटनास्थल भी दिखाया। वहां के हालात देखकर लगा कि सब कुछ खत्म हो चुका है। कंपनी ने दाह संस्कार के लिए उन्हें दस हजार रुपये की सहायता भी दी है। बेटे के मिलने की हर उम्मीद खत्म होने के बाद उन्होंने गांव में पुतला बनाकर बेटे को अंतिम विदाई दे दी।