देहरादून: कोरोना काल में पुलिस के जवान सिर्फ मित्र ही नहीं जीवन रक्षक की भूमिका भी निभा रहे हैं। चाहे कोरोना कर्फ्यू का सख्ती से पालन कराना हो या फिर जरूरतमंदों को अनाज और मेडिकल सुविधाएं मुहैया कराना, पुलिस के जवान हर वक्त जनता की सेवा में तत्पर हैं। कोरोना काल में क्योंकि पुलिसकर्मी फ्रंटलाइन में काम कर रहे हैं, ऐसे में जवानों पर कोरोना संक्रमित होने का खतरा भी मंडरा रहा है। चाहे देहरादून हो, ऊधमसिंहनगर हो या हरिद्वार जिला हो...हर जिले में ड्यूटी पर तैनात जवान कोरोना संक्रमण की जद में आ रहे हैं, जो कि मैन पावर की कमी से जूझ रहे पुलिस विभाग के लिए बड़ी चुनौती है। मौजूदा समय में प्रदेश में कोरोना संक्रमित मिले जवानों की संख्या 1993 तक पहुंच गई है। ये आंकड़ा सचमुच डराने वाला है। प्रदेश में कोरोना संक्रमण की वजह से कई पुलिसकर्मी जान गंवा चुके हैं। सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित जवान राजधानी देहरादून में मिले हैं। यहां अब तक 300 पुलिस जवान कोरोना संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। आगे पढ़िए
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दूसरे नंबर पर ऊधमसिंहनगर जिला है। यहां ड्यूटी करते वक्त 235 पुलिसकर्मी कोरोना संक्रमण से ग्रसित हो गए। मैदानी जिला हरिद्वार तीसरे नंबर पर है। यहां कुंभ ड्यूटी में तैनात कई जवान कोरोना पॉजिटिव मिले थे। हरिद्वार में अब तक 222 जवान कोरोना संक्रमित हुए हैं। प्रदेश में पुलिस कोरोना कर्फ्यू संबंधी ड्यूटी के साथ ही मिशन हौसला अभियान चलाकर कोरोना संक्रमितों को ऑक्सीजन व जीवनरक्षक दवाइयां भी उपलब्ध करा रही है। ऐसे में पुलिसकर्मियों पर काम का दबाव अधिक है, साथ ही कोरोना का जोखिम भी। यही नहीं इमरजेंसी में कोरोना संक्रमितों को अस्पताल पहुंचाने से लेकर कोरोना संक्रमित की मौत हो जाने पर दाह संस्कार कराने तक की जिम्मेदारी भी पुलिस के कंधों पर है। यही वजह है कि पुलिसकर्मियों में संक्रमण तेजी से बढ़ा है। पिछले दिनों प्रदेश में 3103 पुलिसकर्मियों को क्वारेंटीन किया गया था, लेकिन लक्षण न दिखने पर उन्हें ड्यूटी पर वापस बुला लिया गया। पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि पुलिसकर्मी फ्रंटलाइन में रहकर ड्यूटी कर रहे हैं, इसलिए संक्रमण का खतरा बढ़ा है। राहत वाली बात ये है कि सभी पुलिसकर्मियों को कोरोना रोधी वैक्सीन लगाई जा चुकी है। इसलिए कोरोना संक्रमित हुए पुलिसकर्मी तेजी से ठीक भी हो रहे हैं।