देहरादून: कोरोना संक्रमण रोकथाम के लिए प्रदेश में कोरोना कर्फ्यू लगा है। राज्य सरकार लोगों के लिए नई गाइडलाइन जारी कर रही है। मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग संबंधी नियमों की अनदेखी लोगों की सेहत पर ही नहीं, उनकी जेब पर भी भारी पड़ रही है, लेकिन लोग हैं कि सुधरने का नाम नहीं ले रहे। ऐसे लोगों को सुधारने के लिए पुलिस भी सख्ती दिखा रही है। कोविड काल के दूसरे चरण में पुलिस ने लापरवाह लोगों से जुर्माना वसूलने का नया रिकॉर्ड बनाया है। कोरोना की दूसरी लहर में पुलिस ने नियमों की अनदेखी करने वालों से 5 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला है, जो कि अपने आप में बड़ा रिकॉर्ड है। महज 20 दिन के भीतर पुलिस ने 3 लाख से ज्यादा कार्रवाई की। साल 2011 की जनगणना के अनुसार उत्तराखंड की कुल आबादी 1 करोड़ 86 लाख है। इस तरह पुलिस अब तक प्रदेश की जनसंख्या से ज्यादा जुर्माना वसूल चुकी है। नियमों की अनदेखी पर जुर्माना वसूलना ठीक है, लेकिन कोरोना काल में क्योंकि आम आदमी के सामने रोजी-रोटी और नौकरी का संकट पैदा हो गया है, ऐसे में भारी-भरकम जुर्माना उनकी मुसीबतों को और बढ़ा रहा है।
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कई लोगों के पास जुर्माना भरने के लिए पूरे पैसे भी नहीं होते। ऐसे लोग कोर्ट से चालान करा रहे हैं। मैदानी जिलों को छोड़ दें तो पहाड़ में रहने वाले लोगों की आर्थिक स्थिति बहुत बेहतर नहीं है। ऐसे में चालान और जुर्माने की मोटी रकम ने लोगों को हिलाकर रख दिया है। सरकार का खजाना भरने के लिए लोग ट्रैफिक दफ्तर के सामने लंबी-लंबी कतारों में लगे नजर आते हैं। चालान के लिए सख्ती जरूरी है, लेकिन व्यावहारिक पक्ष भी जरूर देखा जाना चाहिए। प्रदेश के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का कहना है कि पुलिस की सख्ती व्यवस्था बनाए रखने के लिए है, ताकि संक्रमण जल्द से जल्द खत्म हो। व्यावहारिक पक्ष देखकर लोगों की मदद भी की जाती है। वहीं राज्य सरकार के प्रवक्ता व वरिष्ठ कैबिनेट मिनिस्टर सुबोध उनियाल कहते हैं कि सरकार ने लॉकडाउन में दर्ज केस तक वापस लिए हैं। सरकार जनता के हित में फैसला ले रही है। इसमें उत्पीड़न जैसा कुछ नहीं है। लोगों की हरसंभव मदद की जाएगी।