देहरादून: प्रदेश में कोरोना के केस कम होने लगे हैं। सरकार भी कोविड कर्फ्यू में ढील दे रही है, लेकिन इस छूट का मतलब लापरवाही की छूट होना नहीं है। लोग अब भी कोरोना की गंभीरता को समझ नहीं रहे। बाजारों में सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ रही हैं, लोग बिना मास्क के टहलते दिख रहे हैं। एक न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड के बॉर्डरों में कोविड जांच नहीं हो रही, जिससे प्रदेश में कोरोना का खतरा एक बार फिर बढ़ गया है। बॉर्डर पर कोरोना जांच नहीं होने की वजह से पर्यटक गाड़ियों में भरभर कर उत्तराखंड पहुंच रहे हैं। क्या मसूरी, क्या नैनीताल और क्या चकराता। यहां वीकएंड पर सड़कों पर पैर रखने तक की जगह नहीं थी। इस लापरवाही के गंभीर नतीजे सामने आ सकते हैं। एक तरफ सरकार ने उत्तराखंड आने के लिए 72 घंटे पहले की आरटीपीसीआर नेगेटिव रिपोर्ट को अनिवार्य किया हुआ है, ताकि प्रदेश में कोरोना को फैलने से रोका जा सके, लेकिन वहीं दूसरी तरफ बॉर्डर पर कोरोना जांच बंद कर दी गई है।
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नैनीताल में पहले बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों की बॉर्डर पर कोरोना जांच हो रही थी, लेकिन अब इसे बंद कर दिया गया है। हालांकि इसका कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं हुआ है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से भी अब बॉर्डर जांच का डेटा जारी नहीं किया जा रहा। हालांकि जिलों में एंट्री के वक्त बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों की कोविड नेगेटिव रिपोर्ट और रजिस्ट्रेशन चेक किया जा रहा है, लेकिन बार्डर पर हो रही कोरोना जांच स्वास्थ्य विभाग ने रोक दी है। जांच बंद होने के चलते पर्यटक भारी तादाद में उत्तराखंड के पर्यटक स्थलों पर पहुंचने लगे हैं, जो कि बड़ा खतरा है। ऐसी ही लापरवाही के चलते कोरोना की दूसरी लहर ने देशभर में जमकर तबाही मचाई। ऐसी स्थिति दोबारा पैदा न हो, इसके लिए बॉर्डर पर सक्रियता बढ़ाने की जरूरत है