उत्तराखंड देहरादूनUnemployment statistics in Uttarakhand

उत्तराखंड: 5 साल में सिर्फ 2 फीसदी लोगों को मिला रोजगार..लॉकडाउन में बेरोजगारी ने तोड़े रिकॉर्ड

चुनाव के दौरान प्रदेश के नेता बेरोजगारों को रोजगार दिलाने और पलायन रोकने की बातें करते रहे, लेकिन सच ये है कि पिछले पांच सालों में यहां केवल दो फीसदी लोगों को ही रोजगार मिला है।

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Image: Unemployment statistics in Uttarakhand (Source: Social Media)

देहरादून: कोरोना अपने साथ महंगाई, गरीबी और बेरोजगारी भी लेकर आया। लॉकडाउन के साथ ही सरकारी विभागों की भर्तियों पर लॉक लग गया। फैक्टियों-उद्योगों पर ताले लगे तो लाखों लोग बेरोजगार हो गए। अपने प्रदेश में भी रोजगार के नाम पर बेरोजगारों के साथ जमकर धोखा हुआ। चुनाव के दौरान नेता बेरोजगारों को रोजगार दिलाने और पलायन रोकने की बातें करते रहे, लेकिन सच ये है कि यहां पिछले पांच सालों में केवल दो फीसदी लोगों को ही रोजगार मिल सका है। स्थिति बेहद विकट है। सेवायोजन विभाग भी बेरोजगारों को रोजगार दिलाने में फिसड्डी साबित हुआ। विभाग की भूमिका सिर्फ बेरोजगारों के रजिस्ट्रेशन तक सिमट कर रह गई। हैरानी इस बात की है कि जगह-जगह रोजगार मेले होने के बाद भी पांच साल में सिर्फ दो फीसदी पंजीकृत बेरोजगारों को ही काम मिल सका है। एक न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक सेवायोजन विभाग के अनुसार प्रदेश में करीब आठ लाख बेरोजगार रजिस्टर्ड हैं। बेरोजगारों को रोजगार से जोड़ने के लिए सेवायोजन विभाग की ओर से हर साल रोजगार मेलों का आयोजन किया जाता है। आगे पढ़िए

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इनमें निजी कंपनियां और एजेंसियां शामिल होती हैं। इंटरव्यू के आधार पर युवाओं का सेलेक्शन होता है। न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक पिछले पांच साल में प्रदेश में ऐसे 513 रोजगार मेले हुए। जिनके माध्यम से सिर्फ 20047 बेरोजगारों को नौकरी मिल सकी। साल 2017-18 में 172 रोजगार मेले आयोजित हुए, जिनसे साढ़े सात हजार के लगभग बेरोजगार युवाओं को काम मिला। रजिस्टर्ड बेरोजगारों की तुलना में ये आंकड़ा 1 फीसदी भी नहीं है। बाकी सालों में रोजगार पाने वालों की संख्या इससे भी कम रही। स्थिति पहले ही खराब थी, और रही सही कसर कोविड ने पूरी कर दी। कोरोना काल में लॉकडाउन के चलते रोजगार मेलों का आयोजन सीमित रहा। पिछले वित्तीय वर्ष में आठ लाख 77 हजार पंजीकृत बेरोजगारों के लिए महज 46 शिविर लग पाए। जिससे सिर्फ 1398 युवाओं को नौकरी मिल सकी। राज्य में बेरोजगारी को लेकर श्रम एवं सेवायोजन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि सरकार बेरोजगारी दूर करने के लिए प्रयासरत है। भविष्य में हम सेवायोजन विभाग को स्वतंत्र आउटसोर्स एजेंसी बनाने जा रहे हैं। इसके जरिये पंजीकृत बेरोजगारों को सरकारी विभागों में रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा।