उत्तराखंड चमोलीIndias highest herbal garden in Mana village

उत्तराखंड के माणा गांव में बना भारत का सबसे ऊंचा हर्बल गार्डन, जानिए इसकी खूबियां

चार एकड़ में फैले हर्बल गार्डन को बनाने में तीन साल लगे। यहां फूलों की 40 दुर्लभतम प्रजातियां मौजूद हैं, जिनके दीदार सिर्फ यहीं हो सकते हैं।

Mana Village Track: Indias highest herbal garden in Mana village
Image: Indias highest herbal garden in Mana village (Source: Social Media)

चमोली: कुदरत की गोद में बैठकर जन्नत के दीदार करने से बेहतर कुछ नहीं। अगर आप भी इस अहसास को करीब से महसूस करना चाहते हैं तो उत्तराखंड के माणा गांव चले आइए। जहां देश में सबसे ऊंचाई पर स्थित शानदार हर्बल गार्डन तैयार किया गया है। चार एकड़ में फैले गार्डन को बनाने में तीन साल लगे। यहां फूलों की 40 दुर्लभतम प्रजातियां मौजूद हैं, जिनके दीदार सिर्फ यहीं हो सकते हैं। चमोली जिले के सीमांत गांव माणा में वन अनुसंधान केन्द्र उत्तराखंड ने कई साल की मेहनत के बाद 11 हजार फीट की ऊंचाई पर हर्बल गार्डन तैयार किया है। तिब्बत सीमा से लगे माणा गांव के सरपंच पीतांबर मोलपा ने इसका उद्घाटन किया। गार्डन को माणा वन पंचायत की चार एकड़ भूमि में बनाया गया है। यहां उच्च हिमालयी क्षेत्रों में मिलने वाले फूलों और औषधीय पौधों की सभी दुर्लभतम प्रजातियां मौजूद हैं। गार्डन में मिलने वाली वनस्पतियों को चार समूह में बांटा गया है। आगे पढ़िए

ये भी पढ़ें:

यह भी पढ़ें - उत्तराखंड: हिंदी मीडियम वालों को एडमिशन देने से इनकार, स्कूल के बाहर धरने पर बैठी छात्राएं
पहला समूह भगवान बदरीनाथ से जुड़ा है। इसमें बदरी तुलसी, बदरी बेर, बदरी वृक्ष और भोज पत्र को शामिल किया गया है। ये सभी भगवान बदरी की पूजा में इस्तेमाल होते हैं। बदरी बेर को स्थानीय लोग ‘अमेश’ नाम से भी जानते हैं, जो न्यूट्रिशन से भरपूर फल होता है। बदरी तुलसी एवं बदरी बेर को विभिन्न बीमारियों में दवा के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। दूसरे समूह में अष्टवर्ग प्रजातियां हैं। जिनमें रिद्धि, वृद्धि, जीवक, ऋषभक, ककोली, क्षीर कोकोली, मेंदा और महामेंदा शामिल हैं। महामेंदा का इस्तेमाल च्यवनप्राश बनाने में होता है। तीसरे समूह में कमल के फूल की प्रजातियां शामिल हैं। यहां आने वाले लोग ब्रह्म कमल, फेम कमल और नील कमल को करीब से निहार सकते हैं। वनस्पति विज्ञान में इसे सेररिया परिवार कहा जाता है। चौथे समूह में हिमालयी क्षेत्र में मिलने वाले अति दुर्लभ वृक्ष एवं हर्ब प्रजातियों को शामिल किया गया है। इन सभी में औषधीय गुण होने के चलते इनकी बहुत ज्यादा मांग है। वन अनुसंधान केंद्र, हल्द्वानी के मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी के मुताबिक हर्बल गार्डन में सभी 40 प्रजातियां दुर्लभ श्रेणी की हैं। इस गार्डन में और स्थानीय प्रजातियों को शामिल करने के प्रयास किए जा रहे हैं।