उत्तराखंड चमोलीLandslide in raini village chamoli

गढ़वाल: रैणी गांव के पास जूग्जू में दरका पहाड़, घर छोड़कर भागे ग्रामीण

जुग्जू गांव के ठीक शीर्ष भाग से चट्टान से भूस्खलन होने के बाद सहमे ग्रामीणों ने मंगलवार की रात जंगलों में बिताई

chamoli Landslide: Landslide in raini village chamoli
Image: Landslide in raini village chamoli (Source: Social Media)

चमोली: उत्तराखंड में मानसून के साथ आई मुश्किलें कम नहीं हो रहीं. पहाड़ में लगातार जारी बारिश से नदियां उफान पर हैं. जगह-जगह पहाड़ खिसक रहे हैं, हर तरफ तबाही का मंजर है तो वहीं उत्तराखंड में पेड़ों से चिपक कर उनकी रक्षा कर पूरी दुनिया को एक संदेश देने वाली गौरा देवी के गांव रैणी पर भूस्खलन ने संकट के बादल खड़े कर दिए हैं चमोली में नीती घाटी में लगातार भूस्खलन से कई गांव खतरे की जद में आ चुके हैं.नीती घाटी के रैणी गांव के आसपास हो रहा भूस्खलन ग्रामीणों की नींद उड़ा रहा है बता दें की नीती घाटी के जुग्जू गांव के ठीक शीर्ष भाग से चट्टान से भूस्खलन होने के बाद सहमे ग्रामीणों ने मंगलवार की रात जंगलों में बिताई. इस दौरान भारी मात्रा में मलबा और बोल्डर गांव के पास तक आ गए. हालांकि फिलहाल गांव में कोई नुकसान नहीं हुआ है. प्रशासन की टीम ने मौके पर पहुंचकर पुरे इलाके का जायजा लिया.

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जूग्जू ग्राम प्रधान पूरण सिंह राणा ने बताया कि जुग्जू गांव के ऊपर मंगलवार दोपहर को भूस्खलन हो गया था और ग्रामीणों ने भागकर जान बचाई थी. इसके बाद भूस्खलन थमा तो ग्रामीण घरों को लौट गए लेकिन रात आठ बजे फिर पहाड़ी से भूस्खलन शुरू हो गया. ऐसे में ग्रामीणों ने रात को ही घर छोड़कर दिए और गांव से करीब पांच सौ मीटर दूर जंगल की गुफा में पहुंच गए. ग्रामीणों ने यहीं पूरी रात बिताई. पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य संग्राम सिंह का कहना है कि गांव में 16 परिवार रहते हैं ग्रामीणों के अनुसार बीते कई सालों से ये पहाड़ी दरकने से ग्रामीण मानसून में अपनी जान बचाने के लिए कोशिश करते रहे हैं. इसी के चलते 1994 से इस गांव के विस्थापन की मांग हो रही है लेकिन अभी तक इस गांव का विस्थापन नहीं हो पाया है. मंगलवार को हुए भूस्खलन से ग्रामीणों की सजगता से ग्रामीण बच गए. अगर थोड़ी भी देर गांव वालों ने गांव से भागने में की होती तो गांव में कई लोग अपनी जान से हाथ धो सकते थे.