उत्तराखंड पिथौरागढ़Badalu village Pithoragarh will be recognized by the name of daughters

पहाड़ की निकिता ने गोल्ड मेडल जीता, अब गांव के हर घर में लगेगी बेटी के नाम की नेम प्लेट

एशियन बॉक्सिंग में देश के लिए गोल्ड मेडल जीतने वाली निकिता चंद के गांव का हर घर अब बेटियों के नाम से पहचाना जाएगा। होनहार निकिता को सम्मान देने के लिए यहां के लोगों ने शानदार काम किया है।

Pithoragarh Badalu Village: Badalu village Pithoragarh will be recognized by the name of daughters
Image: Badalu village Pithoragarh will be recognized by the name of daughters (Source: Social Media)

पिथौरागढ़: पिथौरागढ़ का बड़ालू गांव इन दिनों खूब सुर्खियों में है। गांव की बेटी के एशियन बॉक्सिंग में स्वर्ण पदक जीतने के बाद उसके सम्मान में गांव वालों ने एक ऐसा निर्णय लिया है, जिसकी सालों तक मिसाल दी जाएगी। ग्रामसभा बड़ालू ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत गांव के हर घर में बेटी के नाम की नेम प्लेट लगाने का निर्णय लिया है। इस तरह अब गांव का हर घर बेटियों के नाम से पहचाना जाएगा। एशियन बॉक्सिंग में स्वर्ण पदक जीतने वाली निकिता चंद इसी गांव की रहने वाली हैं। उन्होंने एशियन बॉक्सिंग में जो कमाल किया, उसे सम्मान देने के लिए गांव वाले अब अपने घरों पर बेटी के नाम की नेम प्लेट लगाएंगे। ये गांव घरों में बेटी के नाम की नेम प्लेट लगाने वाला राज्य का पहला गांव होगा। बड़ालू गांव मूनाकोट ब्लॉक से छह किमी दूर स्थित है।

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गांव की कुल आबादी 1100 है। बड़ालू में 156 परिवार रहते हैं। ग्राम प्रधान दिवाकर जोशी ने बताया कि देश में अब भी लोग बेटी के पैदा होने पर खुश नहीं होते हैं। बेटी की शिक्षा को लेकर भी लोग गंभीर नहीं दिखाई देते। ऐसे में गांव की बेटी निकिता के एशियन बॉक्सिंग में स्वर्ण पदक जीतने के बाद बड़ालू का नाम देश में जाना जाने लगा है। निकिता चंद ने दुबई में आयोजित एशियाई जूनियर बॉक्सिंग चैंपियनशिप (60 किग्रा) में स्वर्ण पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया है। अब ग्रामसभा हर घर में बेटी, बहू के नाम पर नेम प्लेट बनाएगी। गांव में आने वाले लोग बेटी के नाम से घर तक पहुंचेंगे। ग्रामसभा ने रविवार को बैठक कर इस मुहिम को शुरू करने का फैसला लिया है। बेटियों के हक में शानदार पहल करने वाला बड़ालू गांव पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस गांव ने उन लोगों को आईना दिखाने का काम किया है, जो आज भी बेटियों को कमतर मानने की सोच से उबर नहीं पा रहे।