उत्तराखंड रुद्रप्रयागSadhguru in Kedarnath guptakashi

देवभूमि यात्रा पर सद्गुरु, गुप्तकाशी में ध्यान लगाया..केदारनाथ में शीश नवाया

सद्गुरु को हम आध्यात्मिक गुरु और मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में जानते हैं। इन दिनों वो हिमालय की यात्रा पर हैं। गुप्तकाशी के बाद उन्होंने केदारनाथ में भगवान के दर्शन किए।

Sadhguru Kedarnath: Sadhguru in Kedarnath guptakashi
Image: Sadhguru in Kedarnath guptakashi (Source: Social Media)

रुद्रप्रयाग: गुप्तकाशी। भगवान भोलेनाथ की नगरी। जब भी काशी का जिक्र होता है तो हमारे जहन में वाराणसी की तस्वीर उभरती है, लेकिन अपने उत्तराखंड में भी दो काशी नगरी हैं। देश की तीन प्रमुख काशियों में उत्तरकाशी, काशी (वाराणसी) और गुप्तकाशी शामिल हैं, जिनमें से दो काशी उत्तराखंड में हैं। इन्हीं में से एक है गुप्तकाशी, जो कि उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में 1319 मीटर की ऊंचाई पर स्थित विख्यात काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए जाना जाता है। भगवान शिव का यह पवित्र धाम केदारनाथ मार्ग पर गुप्तकाशी कस्बे में स्थित है। यह केदारनाथ यात्रा का मुख्य पड़ाव भी है, जो भी यहां आता है, वो शिवमय हो जाता है, शिवत्व को करीब से महसूस करता है। हाल में सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने उत्तराखंड के इस पावन धाम में भगवान शिव के दर्शन किए। इस दौरान वो देवभूमि की अलौकिकता से अभिभूत नजर आए। गुप्तकाशी के बाद सद्गुरु ने केदारनाथ पहुंचकर बाबा केदार का आशीर्वाद भी लिया।

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ईशा फाउंडेशन की मदद से लाखों लोगों की जिंदगियों को बदलने वाले सद्गुरु जग्गी वासुदेव को अपने बीच पाकर उत्तराखंड के लोग भी अभिभूत थे। सद्गुरु को हम आध्यात्मिक गुरु और मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में भी जानते हैं। इन दिनों वो हिमालय की यात्रा पर हैं, उनकी यात्रा का वीडियो ‘हिमालयन जॉन्ट’ पर देखा जा सकता है। ट्वीटर भी भी उनकी यात्रा को लेकर समय-समय पर खूब अपडेट्स देखने को मिलते हैं। गुप्तकाशी में शिव-पार्वती को समर्पित अर्द्ध नारीश्वर मंदिर भी स्थित है। माना जाता है कि यहां मणिकर्णिका कुंड में गिरने वालीं दो जलधाराएं गंगा और यमुना के रूप में विराजमान होती हैं। यहां स्थित मंदिरों का संबंध महाभारत काल से जोड़ा जाता है। गुप्तकाशी के साथ ही केदारनाथ धाम में इन दिनों श्रद्धालुओं का तांता लगा है।