उत्तराखंड देहरादूनStory of Uttarakhand women cricket team captain Anju Tomar

ये है उत्तराखंड महिला क्रिकेट टीम की कप्तान, ऐसे हाल में रहने को मजबूर शतक जमाने वाली अंजू

अंजू (Uttarakhand Women Cricket Team Captain Anju Tomar) आज भी उस मुकाम तक नहीं पहुंच पाई हैं, जिसकी वो असली हकदार हैं।

Uttarakhand Women Cricket Team Captain Anju Tomar: Story of Uttarakhand women cricket team captain Anju Tomar
Image: Story of Uttarakhand women cricket team captain Anju Tomar (Source: Social Media)

देहरादून: अंजू तोमर। उत्तराखंड सीनियर क्रिकेट टीम की कप्तान। अंजू (Uttarakhand Women Cricket Team Captain Anju Tomar) किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। बीते दिनों उनकी शानदार शतकीय पारी की बदौलत उत्तराखंड की टीम ने चंडीगढ़ जैसी मजबूत टीम को 103 रनों के बड़े अंतर से हराया। कप्तान अंजू तोमर ने 124 रनों की नाबाद पारी खेली। साथ ही एक विकेट भी झटका। इस तरह बीसीसीआई महिला सीनियर वन डे ट्रॉफी के लिए खेले गए मैच में उत्तराखंड की महिला टीम मजबूत स्थिति में पहुंच गई। आज यहां हम अंजू के खेल के साथ-साथ उन परिस्थितियों के बारे में भी बात करेंगे, जिन्होंने अंजू को इतना मजबूत बनाया, उन्हें कभी हार न मानने की सीख दी। इस बीच TOI ने अंजू के संघर्ष पर एक बेहतरीन रिपर्ट तैयार की है। साल 2019-20 और 2020-21 के क्रिकेट सीजन में उत्तराखंड के लिए सभी प्रारूपों में सबसे ज्यादा रन बनाने वाली खिलाड़ी रही अंजू का जन्म चकराता के एक सुदूर गांव में जौनसारी आदिवासी समुदाय में हुआ। उनके पिता रिटायर्ड कर्मचारी हैं। पेंशन के रूप में 7 हजार रुपये पाते हैं। खबर के मुताबिक परिवार में दिक्कतें ऐसी हैं कि रहने के लिए एक ढंग का घर भी नहीं है। पहाड़ की ये होनहार बिटिया आज भी देहरादून में घर के नाम पर टिनशेड में रहती है। आगे पढ़िए
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  • ये जिंदगी सचमुच मुश्किल है

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    बारिश होने पर घर में पानी भर जाता है। जिंदगी सचमुच बहुत मुश्किल है। पिछले साल अंजू महज 63 हजार रुपये कमा सकीं। आम लोगों को लगता है कि क्रिकेटर बहुत पैसा कमाते हैं, लेकिन ये पूरा सच नहीं है। 30 साल की अंजू के पिता देहरादून में सर्वे ऑफ इंडिया में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के तौर पर काम करते थे। यहीं पर अंजू (Uttarakhand Women Cricket Team Captain Anju Tomar) ने पहली बार क्रिकेट खेला। पिता के रिटायरमेंट के बाद जिंदगी मुश्किल हो गई। परिवार झुग्गी-झोपड़ियों में रहने चला गया। यहां जो घर मिला उसमें छत के नाम पर टिन की चादर थी। तमाम चुनौतियों के बावजूद उत्तराखंड की ये ऑलराउंडर क्रिकेटर क्रिकेट खेलती रही और राज्य की अंडर-19 टीम के साथ-साथ सीनियर टीम का हिस्सा बनी।

  • कई अवॉर्ड जीत चुकी है अंजू

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    अंजू (Uttarakhand Women Cricket Team Captain Anju Tomar) सीएयू पुरस्कार समारोह में दो बार सर्वश्रेष्ठ महिला क्रिकेटर का पुरस्कार जीत चुकी हैं। हालांकि वो अब भी उस मुकाम तक नहीं पहुंची हैं, जिसकी वो हकदार हैं। क्रिकेट के जानकार कहते हैं कि अगर अंजू तोमर कर्नाटक या मुंबई जैसी अच्छी तरह से स्थापित राज्य टीम के लिए इसी तरह का प्रदर्शन करतीं तो अब तक वो नेशनल टीम का हिस्सा बन चुकी होतीं। अंजू तोमर आज उत्तराखंड की हर क्रिकेटर बेटी की प्रेरणा हैं, जो उन्हें सपने देखने और इन्हें सच करने का हौसला दे रही हैं।