अल्मोड़ा: प्रकृति ने हर चीज बहुत सोच समझ कर बनाई है। पेड़ पौधों से लेकर घास तक हर चीज का अपना महत्व है। इन चीजों का संरक्षण भी हो रहा है।पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने में घास का अपना महत्व है। विभिन्न पौधों के बीच घास की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हैं। घास मिट्टी (Indias first grass conservatory ranikhet) की उर्वरता को तो बढ़ाती ही है वहीं भूमि कटाव को भी रोकती है। ताज्जुब की बात है कि पेड़ पौधों का तो संरक्षण किया जा रहा है मगर घास का संरक्षण अबतक देश में कहीं नहीं किया गया है। अच्छी खबर है कि उत्तराखंड ने इसको सीरियसली लिया और अल्मोड़ा जिले के रानीखेत में देश का पहला घास संरक्षण केंद्र बनाया गया है। बीते रविवार को इसे जनता के लिए खोल दिया गया है। यह घास संरक्षण केंद्र देश का पहला घास संरक्षण केंद्र है। इससे पहले किसी राज्य में घास के संरक्षण के विषय में नहीं सोचा गया है। रानीखेत में मौजूद यह केंद्र दो एकड़ में फैला हुआ है। क्या आप जानते हैं कि इस केंद्र में घास की 90 प्रकार की प्रजातियां हैं। इन प्रजातियों के वैज्ञानिक, पारिस्थितिक, औषधीय और सांस्कृतिक महत्व हैं। इस घास संरक्षण केंद्र को कालिका वन रेंज में स्थापित किया है। इस केंद्र को क्षतिपूरक वनीकरण प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (सीएएमपीए) के तहत बनाया गया है।
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