उत्तराखंड पिथौरागढ़Manoj of Pithoragarh Bangapani dharna in Kotgari temple

उत्तराखंड: न्याय की देवी के मंदिर में कंडाली पर बैठकर धरना, बंगापानी का मनोज मांगे इंसाफ!

निर्दोष व्यक्ति आरोपी बनकर सजा काटता है और उसके बाद निर्दोष साबित होता है तो खुशी तो होती है लेकिन जो वक़्त उसका गुजर गया है उसका भुगतान अब कौन करेगा?

Pithoragarh Bangapani Manoj Kotagadi temple dharna: Manoj of Pithoragarh Bangapani dharna in Kotgari temple
Image: Manoj of Pithoragarh Bangapani dharna in Kotgari temple (Source: Social Media)

पिथौरागढ़: पिथौरागढ़ के बंगापानी सिलिंग गांव निवासी मनोज कुमार का साल 2010 से लेकर साल 2017 का यह वक्त बेबसी, बदनामी और बदहाली वाला रहा, क्योंकि बिना कोई गुनाह किए ही उसे इतने दिनों तक जेल में रहना पड़ा. लेकिन जब कोई निर्दोष व्यक्ति आरोपी बनकर सजा काटता है और उसके बाद निर्दोष साबित होता है तो खुशी तो होती है लेकिन जो वक़्त उसका गुजर गया है उसका भुगतान अब कौन करेगा? इसी के सवाल के जवाब को जानने के लिए पिथौरागढ़ के मनोज कुमार ने अनूठा धरना देकर गुहार लगाई है. पिथौरागढ़ जिले के बंगापानी के सिलिंग गांव निवासी मनोज का आरोप है कि साल 2010 में किसी अज्ञात व्यक्ति ने तत्कालीन मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को बम से उड़ाने की धमकी दी थी जिस मामले में देहरादून पुलिस ने उसे झूठा फंसा कर जेल में डाल दिया था. इस दौरान उसने पुलिस पर अपना उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है. पुलिस की मारपीट से अपने दोनों कानों के पर्दे खराब होने के साथ ही पूरा भविष्य चौपट होना बताया. आगे पढ़िए
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  • 3 साल जेल में रहा

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    इस मामले में उसे तीन साल तक जेल में रहना पड़ा. जिससे उसका भविष्य तबाह हो गया. मनोज का कहना है की इसके लिए पुलिस और सरकार दोनों जिम्मेदार है. जेल से बाहर आने के बाद वह अपने साथ हुए अन्याय के लिए संघर्ष कर रहा है. इस संबंध में बीते वर्ष उसने जिला मुख्यालय कलक्ट्रेट में भी अनशन किया था. पर कई बार धरना प्रदर्शन और आमरण अनशन करने के बाद भी उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई. कहीं से न्याय नहीं मिलने के बाद अब मनोज न्याय की देवी कही जाने वाली देवी कोटगाड़ी के मंदिर में चार दिन से कड़ाके की ठंड के बीच अर्धनग्न होकर बिच्छू घास पर बैठकर धरना दे रहा है.

  • लाखों रुपये हुए खर्च

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    वहीँ राजस्व पुलिस ने उसे समझाकर धरने से उठाने की कोशिश की लेकिन वह नहीं माना. मनोज का आरोप है कि छह साल चले मुकदमे और उपचार में उसके लाखों रुपये खर्च हो गए जिस समय उसे गिरफ्तार किया गया था, वह निजी सुरक्षा गार्ड की नौकरी कर रहा था साथ ही स्नातक की पढाई भी कर रहा था. उसका कहना है कि इस झूठे मुकदमे की वजह से उसका पूरा भविष्य बर्बाद हो गया.