पौड़ी गढ़वाल: पौड़ी जिले के चाकीसैण के अंतर्गत आने वाले प्रसिद्ध Bukhal Kali Mata में भव्य पूजा अर्चना के साथ मेले का आयोजन किया गया है, यह मंदिर 2014 से पहले भारी पशु बलि के लिए विख्यात था। यहां पर माँ कलिंका को हजारों की संख्या में पशु बलि चढ़ाई जाती थी। मगर 2014 के बाद से यहां पर बली प्रथा को समाप्त कर दिया गया। अब यहां अद्भुत परंपरा निभाई जाती है। अब पशु बलि की जगह नारियल जल से कुंड भरा जाता है। मेला को राठ क्षेत्र के प्रसिद्ध बुखाल काली माता के नाम से पूरे देश में जाना जाता है। कलिंका माता मंदिर आस्था विश्वास और श्रद्धा का एक बड़ा केंद्र सदियों से रहा है,चाकीसैण में आने वाले सभी गांवों के लोग इस कलिंका माता मंदिर में अपने-अपने देवी देवताओं के निशान(झंडे) को ढोल-दमोउ के साथ लेकर आते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इस मंदिर का निर्माण 1800वी सदी में किया गया था, मान्यता है कि माता कालिका माता यहां बने कुंड में रहती है। आगे पढ़िए
यह भी पढ़ें - उत्तराखंड के दो जिलों में भूकंप, जमीन से 10 Km नीचे था केंद्र