श्रीनगर गढ़वाल: Srinagar garhwal के पले बढ़े Sumit Purohit की कहानी को आप सभी के बीच लाना जरूरी है।ऐसा इसलिए क्योंकि Sumit Purohit ने जिस वेब सीरीज Scam 1992 के लिए काम किया, उसमें उनके काम के लिए उन्हें 3 फिल्मफेयर अवॉर्ड मिले हैं। पहाड़ के छोटे से कस्बे से निकलकर फिल्मफेयर तक का सफर कैसा रहा? Rajaya Sameeksha की जर्नलिस्ट अनुष्का ढौंडियाल ने सुमित पुरोहित का Exclusive साक्षात्कार लिया है। आइए आप भी जानिए सुमित के जीवन और उनके करियर के बारे में
1- Rajaya Sameeksha-आप मूलरूप से कहां के हैं? शुरुआती शिक्षा-दीक्षा कहां से की? माता-पिता क्या करते हैं?
Sumit Purohit- मूल रूप से श्रीनगर गढ़वाल का रहने वाला हूँ। मेरी स्कूलिंग वहीं से हुई। मेरे पिताजी गढ़वाल यूनिवर्सिटी में फिजिक्स के प्रोफेसर रह चुके हैं। मेरी मां भी इंटर कॉलेज में टीचर के पद पर कार्यरत थीं। एक छोटी बहन भी है मेरी। माता-पिता दोनों रिटायर हो चुके हैं और दोनों अब देहरादून में रहते हैं। गांव गढ़वाल में है इस वजह से हमारा अक्सर वहां पर आना-जाना होता रहता है। बचपन से ही लिखने का और स्केचिंग काम बेहद शौक रहा है। इस वजह से मेरी ग्रेजुएशन भी फाइन आर्ट्स में हुई है। मैंने अपने ग्रेजुएशन एमएसयू बड़ोदा से पूरा किया। लिखने की तरफ फाइन आर्ट्स की तरफ मेरा रुझान स्कूल के दिनों से ही था और स्कूल के दिनों से ही थोड़ा बहुत लिखता रहता था और स्केचिंग भी किया करता था जिस वजह से ग्रेजुएशन मैंने फाइन आर्ट्स में ही करने की ठानी। कॉलेज में वो माहौल मिला और थिएटर को मैंने काफी अधिक सीरियसली लिया। कॉलेज के दिनों में ही मुझे यह लगने लगा कि मुझे कहानी सुनाने में, कहानी कहने में काफी अधिक दिलचस्पी है। स्कूल के दिनों में भी मेरा स्केचिंग की तरफ रुझान अधिक था और मैं स्केचिंग के जरिए कहानियां कहने की कोशिश करता था। कॉलेज में फिल्म मेकिंग की तरफ भी रुझान बढ़ा और छोटी-छोटी डॉक्यूमेंट्री फिल्में बनाना भी शुरू किया। ग्रेजुएशन के बाद मुंबई आ गया और यहां फिल्म मेकिंग के बारे में बहुत कुछ सीखा और कई शॉर्ट फिल्म्स एवं डॉक्यूमेंट्री भी बनाईं। तब से यह सिलसिला चलता है आ रहा है। आगे पढ़िए