उत्तराखंड बागेश्वरTanakpur Bageshwar Rail Line Wait of a century comes to end

टनकपुर-बागेश्वर रेल: एक सदी का इंतजार होगा खत्म...154 किमी लंबा कुछ खास होगा ये ट्रैक

टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन निर्माण की मांग एक सदी पुरानी है। अंग्रेजी हुकूमत ने वर्ष 1911-12 में पहली बार इस रेल लाइन निर्माण का सर्वे शुरू किया था।

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Image: Tanakpur Bageshwar Rail Line Wait of a century comes to end (Source: Social Media)

बागेश्वर: लंबे जन संघर्ष के बाद टनकपुर-बागेश्वर वासियों का सालों पुराना सपना आकार लेने लगा है। इसके लिए अंतिम सर्वे शुरू हो गया है। रेल मंत्रालय ने टनकपुर-बागेश्वर ब्रॉडगेज रेललाइन के फाइनल सर्वे का काम शुरू कर दिया है। इसकी जिम्मेदारी नोएडा की कार्यदायी संस्था इरकान इंफ्रास्ट्रक्चर एंड सर्विसेज लिमिटेड को दी गई है। टीम ने रेलवे स्टेशन परिसर की लोकेशन देखी और रेल मार्ग के प्रस्तावित अनुरेखण (नक्शे) को चस्पा कर सर्वे की शुरुआत की। सर्वे टीम में शामिल एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि करीब 154.58 किमी लंबे रेल मार्ग का 80 प्रतिशत हिस्सा टनल में निर्मित होना है, जिसके लिए लोकेशन सर्वे शुरू किया जा रहा है।

Tanakpur Bageshwar Rail Line

बता दें कि केंद्र सरकार ने तीन माह पूर्व टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन निर्माण को मंजूरी दी है। इसके फाइनल लोकेशन सर्वे के लिए 28.95 करोड़ रुपये का बजट भी जारी किया गया है। इसे लेकर पिछले दिनों सीएम पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी कुमार से मुलाकात भी की थी।

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अब टनकपुर में कार्यदायी संस्था ने पीडब्ल्यूडी के सहयोग से सर्वेक्षण का काम शुरू कर दिया है। मंगलवार को कार्यदायी संस्था के जूलॉजिकल व एलाइंमेंटस के इंजीनियर टनकपुर पहुंचे और सर्वे का काम शुरू कर दिया। यह रेल लाइन शारदा नदी के किनारे होते हुए बागेश्वर तक जाएगी। जिसमें पूर्णागिरि के ठुलीगाड़ क्षेत्र से 80 प्रतिशत टनल बनाए जाएंगे। टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन निर्माण की मांग एक सदी पुरानी है। अंग्रेजी हुकूमत ने वर्ष 1911-12 में पहली बार इस रेल लाइन निर्माण का सर्वे शुरू किया था, लेकिन ये पूरा नहीं हो सका। आजादी के बाद वर्ष 2006-07 में रेल मंत्रालय ने इस रेल लाइन का प्रारंभिक सर्वे कराया था। वर्ष 2015-16 में सरकार ने इस परियोजना को राष्ट्रीय महत्व की परियोजना का दर्जा दिया। वर्ष 2019-20 में अंतिम सर्वे के बाद अब अंतिम लोकेशन सर्वे किया जा रहा है। इस रेल लाइन के बनने से चंपावत, पिथौरागढ़ और बागेश्वर जिले में विकास के अवसर बढ़ेंगे। पहाड़ के दुर्गम क्षेत्र भी विकास की मुख्यधारा से जुड़ सकेंगे।