उत्तराखंड देहरादूनHonorarium of gram pradhan and Anganwadi workers increased in Uttarakhand

उत्तराखंड: ग्राम प्रधानों और आंगनबाड़ी वर्करों को धामी सरकार का तोहफा, बढ़ाया गया मानदेय

ग्राम प्रधानों का मानदेय बढ़ाकर 3500 रुपये कर दिया गया है, जो कि अब तक 1500 रुपये प्रति माह हुआ करता था। अनाथ बच्चों के लिए भी सरकार ने शानदार काम किया है।

Uttarakhand gram pradhan honorarium: Honorarium of gram pradhan and Anganwadi workers increased in Uttarakhand
Image: Honorarium of gram pradhan and Anganwadi workers increased in Uttarakhand (Source: Social Media)

देहरादून: साल का आखिरी दिन प्रदेश के हजारों पंचायत प्रतिनिधियों और आंगनबाड़ी वर्करों के लिए बड़ी खुशखबरी लाया। प्रदेश के पंचायत प्रतिनिधि अब बढ़ा हुआ मानदेय पाएंगे। उत्तराखंड के ग्राम प्रधानों का मानदेय यूपी के समान कर दिया गया है। प्रदेश के पंचायत प्रतिनिधि लंबे समय से मानदेय बढ़ाने की मांग कर रहे थे। पंचायत प्रतिनिधियों का मानदेय पिछली बार दिसंबर 2017 में बढ़ाया गया था। चुनावी साल में सरकार ने आखिरकार प्रधानों की सुन ली। ग्राम प्रधानों का मानदेय बढ़ाकर 3500 रुपये कर दिया गया है, जो कि अब तक 1500 रुपये प्रति माह हुआ करता था। राज्य सरकार ने अन्य सभी स्तर के पंचायत प्रतिनिधियों का मानदेय बढ़ाने के लिए भी सहमति प्रदान कर दी है। सरकार के इस फैसले से उप प्रधान, क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत सदस्य के साथ ही प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष लाभान्वित होंगे। आंगनबाड़ी वर्कर भी नए साल पर बढ़ा हुआ मानदेय पाएंगी। मुख्य कार्यकर्ताओं का मानदेय 1800 जबकि मिनी और सहायिकाओं का मानदेय 1500-1500 रुपये प्रति माह बढ़ाया गया है।

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उत्तराखंड में 14,947 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, 14,947 सहायिका और 5120 मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं, जिन्हें सरकार के फैसले का लाभ मिलेगा। सीएम ने आंगनबाड़ी वर्कर के लिए विशेष प्रोत्साहन पैकेज भी घोषित किया है, जिसमें उन्हें मार्च तक प्रति माह दो-दो हजार रुपये मिलने हैं। उत्तराखंड सरकार ने अनाथ आश्रमों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए भी एक शानदार काम किया है। राजकीय अनाथ आश्रमों में पले-बढ़े बच्चों को उत्तराखंड में सरकारी नौकरी में पांच प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। राज्य के विभिन्न आश्रमों में ऐसे करीब एक हजार बच्चे पल रहे हैं, जो अब आरक्षण का फायदा लेकर अपना भविष्य संवार सकेंगे। उत्तराखंड इस तरह की पहल करने वाला देश का पहला राज्य है। अब तक सिर्फ महाराष्ट्र में ही अनाथ बच्चों को सरकारी नौकरी में एक प्रतिशत आरक्षण मिलता आया है।