चमोली: आध्यात्मिक नगरी ज्योतिर्मठ में जन जीवन के ऊपर बड़ा खतरा मंडरा रहा है। यहां जगह-जगह आवासीय भवनों पर दरारें पड़ रही है। सामान्य मौसम में भी यहां भू-धंसाव हो रहा है जो कि चिंताजनक बात है। ज्योतिर्मठ के गांधी नगर मोहल्ले में कई भवनों में पड़ी दरारों का सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है। यहां नृसिंह मंदिर परिसर में कई जगहों पर जमीन बैठ चुकी है। इसपर चिंता जताते हुए भू-वैज्ञानिकों का कहना है कि ज्योतिर्मठ नगर पुराने रॉक स्लाइड (भूस्खलन क्षेत्र) पर बसा हुआ है। वहीं अलकनंदा से भू-कटाव हो रहा है, जिससे धीरे-धीरे भूमि खिसक रही है और इससे भूस्खलन हो रहा है। समुद्र तल से करीब 1800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित ज्योतिर्मठ को बदरीनाथ धाम का प्रवेश द्वार कहा जाता है। यहां नृसिंह मंदिर के दर्शनों के बाद ही तीर्थयात्री अपनी बदरीनाथ धाम की तीर्थयात्रा शुरू करते हैं। यह तिब्बत (चीन) सीमा क्षेत्र का अंतिम नगर क्षेत्र है। नगर के अधिकांश क्षेत्रों में सेना और आईटीबीपी के कैंप स्थित हैं। ज्योतिर्मठ नगर की वर्तमान में जनसंख्या लगभग 25 हजार है। ऐसे में बड़ी तादाद में लोग खतरे की जद में हैं।
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यहां पिछले कुछ महीनों से कई आवासीय मकानों और सड़कों में दरारें पड़नी शुरू हो गई हैं। यह दरारें दिन प्रति दिन मोटी होती जा रही हैं। ऐसे में लैंडस्लाइड का खतरा कई गुना बढ़ गया है। यहां पेट्रोल पंप से लेकर बदरीनाथ हाईवे तक जगह-जगह भू-धंसाव हो रहा है। स्थानीय लोगों के द्वारा कई बार तहसील प्रशासन से नगर का भूगर्भीय सर्वेक्षण कर सुरक्षा के इंतजाम करने की मांग की है, लेकिन आज तक इस पर कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है। ज्योतिर्मठ नगर के भूगर्भीय सर्वेक्षण के लिए जिला प्रशासन को पत्र लिखा गया है। वहीं पिछले चार सालों से ज्योतिर्मठ क्षेत्र में बदरीनाथ हाईवे पर भू-सर्वेक्षण का कार्य करने वाले भू वैज्ञानिक डा. दिनेश सती का कहना है कि ज्योतिर्मठ नगर क्षेत्र पुराने रॉक स्लाइड पर बसा हुआ है। अलकनंदा से भू कटाव होने के कारण ज्योतिर्मठ में भूमि के अंदर हलचल पैदा हो रही है। इसलिए ज्योतिर्मठ के भूगर्भीय सर्वेक्षण के बाद ट्रीटमेंट होना बेहद जरूरी है। उन्होंने बताया कि ज्योतिर्मठ नगर में पानी की निकासी के लिए मजबूत ड्रेनेज सिस्टम होना जरूरी है।संपूर्ण नगर क्षेत्र को सीवरेज से कवर किया जाना भी अति आवश्यक है जिससे पानी भूमि के अंदर न जा सके। सभी आवासीय भवनों से निकलने वाले पानी की निकासी का भी उचित प्रबंधन होना जरूरी है।