उत्तराखंड कोटद्वारLandslide on Kotdwar Dugadda Highway

कोटद्वार से दुगड्डा, पौड़ी, श्रीनगर जाने वाले ध्यान दें..जानलेवा है इस हाईवे पर सफर करना !

कोटद्वार से पहाड़ के लिए जो भी गाड़ियां जाती हैं, वो इसी हाईवे से होकर गुजरती हैं, लेकिन यहां सफर कब जानलेवा बन जाए कुछ कहा नहीं जा सकता।

Kotdwara Dugadda Road: Landslide on Kotdwar Dugadda Highway
Image: Landslide on Kotdwar Dugadda Highway (Source: Social Media)

कोटद्वार: उत्तराखंड में खराब मौसम अपने साथ कई तरह की मुश्किलें लाता है। बारिश आती है तो सड़कें भूस्खलन की भेंट चढ़ जाती हैं, सड़कों पर आवाजाही ठप हो जाती है। इन दिनों कोटद्वार-दुगड्डा के बीच स्थित नेशनल हाईवे के साथ भी यही हो रहा है। कोटद्वार को गढ़वाल का प्रवेश द्वार कहा जाता है। मैदानी इलाकों से पहाड़ के लिए जो भी गाड़ियां जाती हैं, वो यहीं से होकर गुजरती हैं, लेकिन कोटद्वार से दुगड्डा तक का सफर कब जानलेवा बन जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। हम ऐसा क्यों कह रहे हैं, ये आप ऊपर दिख रही तस्वीर देखकर खुद समझ सकते हैं।

Kotdwara-Dugadda Road Landslide:

कोटद्वार से 8 किलोमीटर आगे राष्ट्रीय राजमार्ग पर बार-बार मलबा आ रहा है, जिससे गाड़ियों की आवाजाही प्रभावित हो रही है। पिछले तीन दिन में मलबा आने से नेशनल हाईवे का यह हिस्सा कई बार बंद हो चुका है। पहाड़ से गिर रहे बोल्डर कभी भी लोगों की जिंदगी पर भारी पड़ सकते हैं।

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28 दिसंबर को कोटद्वार-दुगड्डा के बीच सड़क का एक बड़ा हिस्सा ढह गया था। मुश्किल बढ़ी तो राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग ने इस जगह पर चट्टान की कटिंग कर वैकल्पिक रोड बना दी। आवाजाही शुरू हो गई, लेकिन 7 जनवरी की रात बारिश शुरू होते ही यहां एक बार फिर मलबा जमा हो गया। सड़क के दोनों तरफ जाम लग गया। भारी बारिश के बीच गाड़ियां घंटों तक जाम में फंसी रहीं। विभाग की टीम 13 घंटे तक रोड की सफाई में जुटी रही। तब कहीं जाकर मलबा हटाकर गाड़ियों की आवाजाही दोबारा शुरू कराई जा सकी। शनिवार को इस जगह पर एक बार फिर मलबा आ गिरा।
ऐसे में पूरी रात राष्ट्रीय राजमार्ग पर गाड़ियों की आवाजाही बंद रही। सोमवार को भी ट्रैफिक घंटों बाधित रहा। जिस जगह में मलबा आ रहा है, वहां काफी फिसलन है। ऐसे में चौपहिया और दुपहिया वाहन भी स्लिप हो रहे हैं। खतरे की जद में आए इस स्थान पर आवाजाही जोखिमभरी बनी हुई है, लेकिन राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग की ओर से समस्या के स्थाई समाधान के लिए कारगर कदम नहीं उठाए जा रहे।