उत्तराखंड देहरादूनBJP planning for 20 seats in Uttarakhand assembly elections

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव: BJP के लिए टेंशन बनी ये 20 सीटें, अब फैसला मोदी-शाह के हाथ

विधानसभा चुनाव 2022: 20 सीटों पर प्रत्याशी तय नहीं कर पाई है भाजपा, पार्टी ने किए हाथ खड़े, केंद्र ले सकती है फैसला

uttarakhand assembly election: BJP planning for 20 seats in Uttarakhand assembly elections
Image: BJP planning for 20 seats in Uttarakhand assembly elections (Source: Social Media)

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनावों के लिए जोरों-शोरों से तैयारियां की जा रही हैं। भाजपा चुनावी रण में उतर तो चुकी है मगर अभी भी कई सीटों पर प्रत्याशियों के नाम तय करने में भाजपा को तगड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। सूत्रों की मानें तो अबतक भाजपा ने 20 सीटों पर अपने प्रत्याशी तय ही नहीं किए हैं। चुनाव में 1 महीने से भी कम समय बचा है मगर भाजपा के अंदरूनी द्वंद्व और असहमतियों के कारण 20 सीटों के प्रत्याशियों पर अब भी प्रश्न चिह्न लगा हुआ है। अबतक चुनाव समिति की बैठक में 50 विधानसभा क्षेत्रों से आए नामों पर तो सहमति हो चुकी है लेकिन 20 विधानसभा सीटों पर भाजपा असमंजस में है। अब इसे केंद्रीय नेतृत्व और संसदीय बोर्ड पर छोड़ गया है। शनिवार को प्रदेश चुनाव समिति की बैठक में 50 सीटों पर पार्टी सहमति पर पहुंच पाई है मगर 20 सीटों पर किसको टिकट देना है यह तय नहीं हो पाया है। इस बार पौड़ी गढ़वाल के विधायक मुकेश कोली का पत्ता कटने की उम्मीद है। उनके खिलाफ कई बार पौड़ी की जनता ने आक्रोश विरोध किया है। पार्टी सर्वे के नतीजे भी कोली के लिए सहज नहीं बताए जा रहे हैं। पौड़ी में कोई मजबूत कैंडिडेट ढूंढा जा रहा है। पुरोला सीट पर कांग्रेस विधायक भाजपा में शामिल हो चुके हैं और भाजपा के पूर्व प्रत्याशी माल चंद कांग्रेस में चले गए हैं। अब देखना यह है कि बीजेपी इस क्षेत्र से किसको खड़ा करती है

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कोटद्वार विधानसभा में भी अब तक भाजपा प्रत्याशी तय नहीं कर पाई है। यहां के विधायक हरक सिंह रावत अब केदारनाथ से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं। ऐसे में उनके केदारनाथ से चुनाव लड़ने की संभावना जताई जा रही है। घनसाली के विधायक शक्तिलाल शाह की स्थिति बहुत मजबूत नहीं बताई जा रही है। ऐसे में पार्टी यहां पर किसी दूसरे कैंडिडेट को टिकट दे सकती है। टिहरी गढ़वाल जो कि राज्य के बेहद पॉपुलर विधानसभा क्षेत्रों में से एक है यहां पर भी अभी तक भारतीय जनता पार्टी द्वारा पार्टी के प्रत्याशी का नाम रिवील नहीं किया गया है। चर्चा है कि पार्टी इस सीट पर कांग्रेस से एक बड़े चेहरे को मैदान में उतार सकती है। झबरेड़ा सीट पर भी पार्टी किसी शक्तिशाली कैंडिडेट को उतार सकती है। पिरान कलियर सीट के ऊपर कांग्रेस का वर्चस्व बरकरार है कांग्रेस के कब्जे वाली इस सीट पर पार्टी अभी तय नहीं कर पा रही है कि किस चेहरे पर दांव लगाया जाए। राजपुर रोड सीट पर खजानदास विधायक हैं और इस बार पार्टी के भीतर सीट पर नए विकल्प की चर्चाएं हो रही है। गंगोत्री सीट पर कई विधायक अपनी आंखें गड़ाए हुए बैठे हैं। यहां पार्टी प्रत्याशी चयन को लेकर असमंजस में है। भगवानपुर सीट पर पार्टी ने पूर्व कैबिनेट मंत्री सुबोध राकेश को प्रत्याशी बनाया था। लेकिन वह पार्टी छोड़कर बसपा में चले गए हैं। पार्टी यहां मजबूत प्रत्याशी की खोज में है।

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अब बात करते हैं कुमाऊं मंडल की सीटों की जिन पर भारतीय जनता पार्टी द्वारा अब तक किसी को भी टिकट नहीं दिया गया है। कुमाऊं मडंल में नैनीताल की सीट फंस रखी है। इस सीट पर संजीव आर्य विधायक थे, लेकिन पार्टी छोड़ने के बाद अब भाजपा को इस सीट पर टक्कर के प्रत्याशी की तलाश है। पार्टी कांग्रेस नेत्री सरिता आर्य को साधने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस के कब्जे वाली सीट पर पार्टी को मजबूत प्रत्याशी चाहिए। अल्मोड़ा सीट पर रघुनाथ सिंह चौहान विधायक हैं। क्षेत्र में पार्टी उनका विकल्प तलाश रही है। रानीखेत में भी भाजपा मजबूत चेहरे की तलाश में है। गंगोलीहाट में भाजपा मीना गंगोला से ज्यादा मजबूत विकल्प खोज रही है। काशीपुर में भी विधायकों के बीच आपसी द्वंद चल रहा है। काशीपुर में भाजपा विधायक हरभजन सिंह चीमा अपने बेटे को प्रत्याशी बनाना चाहते हैं। लेकिन पार्टी के अन्य दावेदार भी टिकट मांग रहे हैं। बाजपुर में विधायक यशपाल आर्य के भाजपा छोड़ देने के बाद पार्टी मजबूत विकल्प खोज रही है। रामनगर और हल्द्वानी पर भी भाजपा में टिकट को लेकर विधायकों के बीच मारामारी है। डोईवाला सीट पर त्रिवेंद्र का नाम टॉप पर है। सूत्रों की मानें तो डोईवाला विधानसभा सीट पर पहले स्थान पर पूर्व मुख्यमंत्री व सिटिंग विधायक त्रिवेंद्र सिंह रावत का नाम बताया जा रहा है।