देहरादून: भारतीय जनता पार्टी ने कल सियासी गलियारों में भूचाल ला दिया। कांग्रेस भी हैरान रह गई। हरक सिंह रावत को भाजपा से निकाल दिया गया है इसपर यकीन करना मुश्किल था। हरक ने कांग्रेस ज्वॉइन कर ली है। अब यह तो बात रही उत्तराखंड की राजनीति की, जो आए दिन किसी न किसी वजह से सुर्खियों में रहती ही है। मगर आज राजनीति से हटकर बात करेंगे। आज हम आपको बताएंगे हरक सिंह रावत के जीवन के उन पहलुओं के बारे में जिस वजह से वे विवादों में आए थे। हालांकि विवादों से उनका चोली-दामन का साथ है। वे जैनी प्रकरण से सबसे ज्यादा चर्चाओं में आए थे। पहली निर्वाचित सरकार को अनेकों बार अपने कैबिनेट मंत्री हरक सिंह चलते शर्मसार होना पड़ा था। हरक सिंह के राजनीतिक करियर में उनके ऊपर कई तरह के आरोप लगे हैं। 2003 में उन्हें जैनी प्रकरण में अपना मंत्री पद तक गंवाना पड़ा था। आइये आपको बताते हैं कि आखिर जैनी प्रकरण क्या है और कैसे सबसे विवादित मंत्री को अपनी सीट गंवानी पड़ी थी। 2003 में जैनी नाम की एक महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया था और यह कहकर सनसनी फैला दी थी कि उनके बच्चे का पिता हरक सिंह रावत है।दिल्ली से लेकर देहरादून तक जैनी सेक्स प्रकरण ने पूरे सिस्टम को ही हिलाकर रख दिया था।
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नारायण दत्त तिवारी सरकार के गठन होने के एक साल बाद ही सरकार में राजस्व मंत्री हरक सिंह रावत पर असम की एक महिला इंदिरा देवराऊ उर्फ जैनी ने आरोप लगाया था कि हरक सिंह रावत ने उन्हें देहरादून स्थित अपने घर में काम दिलाने के बहाने रखा और उसके साथ बलात्कार किया। वह उनके बच्चे की मां बनी। इसके बाद उत्तराखण्ड की राजनीति में जैसे तूफान आ गया। विपक्ष ने इसका भरपूर फायदा उठाते हुए इस मुद्दे पर जमकर तिवारी सरकार की घेराबंदी कर दी। और मजबूरन हरक सिंह रावत को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। बाद में सीबीआई जांच में हरक सिंह रावत को क्लीन चिट दे दी गई थी। इस सेक्स स्कैंडल का असर यह हुआ कि वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सत्ता खो दी। हालांकि डीएनए टेस्ट में क्लीन चिट मिलने पर हरक सिंह रावत ने सिम्पैथी पाकर और अटेंशन जीत कर चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे। 2013 में एक बार फिर हरक सिंह रावत आरोपों से घिर गए और उनकी जमकर थू-थू हुई। हरक सिंह पर शारीरिक शोषण का आरोप लगा।
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मेरठ निवासी एक महिला ने हरक सिंह पर शोषण का आरोप लगाया था। उस वक्त हरक सिंह विजय बहुगुणा सरकार में मंत्री थे। फिर फरवरी 2014 में मेरठ की रहने वाली महिला ने दिल्ली के सफदरगंज थाने में हरक सिंह के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया था। बाद में दोनों पक्षों की कथित सहमति के बाद मामले को रफादफा कर दिया गया। 29 जुलाई 2016 में उक्त महिला ने फिर से हरक के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया। यह स्कैंडल जैनी कांड की तरह चर्चित तो नहीं हुआ। 18 मार्च 2016 में हरक सिंह ने हरीश रावत सरकार के खिलाफ बगावत की और भाजपा को ज्वॉइन कर लिया। वहीं 2012 में विधानसभा चुनाव में हरक सिंह रावत मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे थे। इस दौरान उन्होंने एक बयान दिया जो बहुत विवादों में रहा था। अपने बयान में उन्होंने कहा था कि मंत्री पद को मैं अपने जूते की नोक पर रखता हूं। 2016 में हरीश रावत सरकार को गिराने की साजिश में मुख्य भूमिका हरक सिंह की रही। त्रिवेंद्र रावत सरकार में भी प्रेशर पॉलिटिक्स करने में हरक सिंह माहिर थे। अब एक बार फिर से रावत ने इसी प्रेशर पॉलिटिक्स के जरिए धामी सरकार पर दबाव डालना चाहा मगर यहां उनकी दाल नहीं गली उल्टा भाजपा ने उनको बाहर का रास्ता दिखा दिया है।