उत्तराखंड देहरादून755 nomination for 70 vidhansabha seats in uttarakhand

उत्तराखंड में 70 विधानसभा सीटों के लिए 755 उम्मीदवारों ने कराया नामांकन, रोमांचक होगा यह चुनाव

उत्तराखंड में चुनावी बिगुल बज चुका है। उत्तराखंड की 70 सीटों के लिए कुल 755 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया है

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Image: 755 nomination for 70 vidhansabha seats in uttarakhand (Source: Social Media)

देहरादून: उत्तराखंड में चुनावी बिगुल बज चुका है। उत्तराखंड की 70 सीटों के लिए कुल 755 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया है। राज्य चुनाव कार्यालय के अनुसार सबसे ज्यादा 144 नामांकन देहरादून में और सबसे कम 15 चम्पावत जिले में हुए हैं। पिछले चुनाव में राज्य में 723 नामांकन दाखिल किए गए थे। इस बार हरिद्वार जिले में 129, पौड़ी में 57, उत्तरकाशी जिले में 27, टिहरी जिले में कुल 43 नामांकन हुए। चमोली जिले में 34 और रुद्रप्रयाग जिले में 27 उम्मीदवारों ने नामांकन कराया है। कुमांऊ मंडल के नैनीताल जिले में 74, यूएसनगर में 106, चंपावत जिले में 15, पिथौरागढ़ में 24, अल्मोड़ा में 55 और बागेश्वर में 20 प्रत्याशियों ने नामांकन कराया है। बता दें कि उत्तराखंड में इस बार फिर से परिवारवाद का वर्चस्व राजनीति में देखने को मिला है। बीजेपी और कांग्रेस जैसे प्रमुख राजनीतिक दलों ने इस बार फिर आम कार्यकर्ताओं की जगह परिवारवाद को तरजीह दी है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने प्रदेश के कुल 20 फीसदी से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में नेताओं के नजदीकी रिश्तेदारों पर ही भरोसा जताया है। इस बार के चुनाव भी रोमांचक होने वाले हैं। क्योंकि उत्तराखंड में इस साल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के अलावा आम आदमी पार्टी भी चुनाव रण में उतर चुकी है। ऐसे में यह देखना रोमांचक होगा कि आम आदमी पार्टी को कितनी सीटें मिलती हैं।

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उत्तराखंड की जनता के पास दो बड़ी पार्टियों के अलावा अब आम आदमी पार्टी भी एक विकल्प है। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस के लिए आम आदमी पार्टी मुश्किल पैदा कर सकती है। बता दें कि साल 2000 में उत्तर प्रदेश से अलग होकर राज्य बनने के बाद से उत्तराखंड में एक भी नया जिला नहीं बना है। कांग्रेस ने सरकार में आने पर 9 नए जिले बनाने का वादा किया है। आम आदमी पार्टी ने वादा किया है कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आई तो 6 नए जिले बनाएंगे। वहीं रोजगार और पलायन भी ऐसा चुनावी मुद्दा है जो कि उत्तराखंड के गठन के साथ ही शुरुआत से चला आ रहा है मगर किसी भी पार्टी ने इन दोनों अहम मुद्दों की ओर अभी तक काम नहीं किया है। पलायन यहां इतना बड़ा मुद्दा है कि सरकार ने इसके लिए पलायन आयोग तक गठित कर रखा है। आयोग की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अलग राज्य बनने के बाद उत्तराखंड से करीब 60 प्रतिशत आबादी घर छोड़ चुकी है। वहीं बेरोजगारी पर विपक्ष का दावा है कि राज्य में बेरोजगारी का दर औसत राष्ट्रीय दर से दुगनी हो चुकी है। इसके अलावा आम आदमी पार्टी ने उत्तराखंड में भ्रष्टाचार को लेकर पहले की और मौजूदा सरकार पर भी निशाना साध रखा है। आम आदमी पार्टी दिल्ली मॉडल के तहत ही यहां भी बिजली, पानी वगैरह जनसुविधाओं को भी चुनावी मुद्दा बना रही है और बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों पर आक्रामक तरीके से हमला कर रही है। भू कानून, देवस्थानम बोर्ड, चारधाम यात्रा, प्राकृतिक आपदा वगैरह के मुद्दों पर भी जमकर राजनीति चल रही है।