उत्तराखंड हल्द्वानीStory of Uttarakhand Haldwani cricketer Kamal Kanyal

उत्तराखंड का ‘युवराज’..कैंसर को मात देकर मैदान पर लौटा, दोहरा शतक जड़कर रचा इतिहास

उत्तराखंड के Kamal Kanyal बने युवाओं के लिए प्रेरणा,16 वर्ष की उम्र में कैंसर से हुए थे डायग्नोस, अब फील्ड पर जड़ रहे हैं शतक

Kamal Kanyal Cricketer Uttarakhand: Story of Uttarakhand Haldwani cricketer Kamal Kanyal
Image: Story of Uttarakhand Haldwani cricketer Kamal Kanyal (Source: Social Media)

हल्द्वानी: अगर मन में हौसला हो, कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो बड़ी से बड़ी बीमारी को भी मात दी जा सकती है, चाहे वह कैंसर ही क्यों ना हो। उत्तराखंड के Kamal Kanyal ने कैंसर को मात दी और उसके बाद उत्तराखंड के क्रिकेट जगत में नए कीर्तिमान स्थापित किए और इसी के साथ उन्होंने यह साबित किया कि अगर आपके मन में कुछ पाने की तीव्र इच्छा मौजूद हो तो कैंसर भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। उत्तराखंड के हल्द्वानी निवासी कमल कन्याल उन लोगों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं जो कि खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं मगर उनकी बीमारी के कारण वे मजबूर हैं। बता दें कि हल्द्वानी के कमल को 16 साल की उम्र में ब्लड कैंसर डायग्नोसिस हुआ था। मगर उस दौरान उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और उनका हौसला डगमगाया नहीं। 1 साल के बाद जब वे कैंसर को मात देकर वापस से ग्राउंड पर लौटे तो पहले से अधिक आत्मविश्वास और हिम्मत के साथ लौटे और क्रिकेट जगत में नए कीर्तिमान स्थापित किए। बता दें कि बेहद कम उम्र में उन्होंने बल्ला थामा तो लोग उनके हुनर के कायल हो गए। उनको विश्वास था कि वह एक दिन जरूर इंडियन टीम का हिस्सा बनेंगे। मगर उनकी करियर की शुरुआत में ही 1 साल मैच खेलने के बाद ही उनके परिवार को एक बड़ा सदमा लगा जब उनके अंदर सेकंड स्टेज का ब्लड कैंसर डायग्नोसिस हुआ। सब को लगा कि उनके क्रिकेट का सपना अब कभी पूरा नहीं होगा और सब कुछ खत्म हो जाएगा लेकिन कमल के पूरे परिवार ने हिम्मत और हौसला नहीं हारा।

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6 महीने तक नोएडा में उनका इलाज चला और 6 महीने तक घर परिवार ने उनकी देखभाल की। 1 साल तक बेड रेस्ट के बाद वे वापस से फिट होकर मैदान में लौटे और लौटे तो ऐसे कि फिर वापस मुड़कर नहीं देखा और रणजी और विजय हजारे ट्रॉफी में शतक लगाकर उन्होंने यह साबित किया कि कैंसर भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। दरअसल क्रिकेट खेलने के 1 साल के भीतर ही उनकी तबीयत खराब रहने लगी जिसके बाद उनके अंदर ब्लड कैंसर डायग्नोसिस। उनके पिता इंडियन आर्मी में थे। नोएडा के आर्मी अस्पताल में उनका इलाज शुरू हुआ। तकरीबन 6 महीने तक अस्पताल में रहने के बाद 6 महीने घर पर उनके परिजनों ने उनकी देखभाल की और वे जीवन की जंग में मौत को मात देकर विजेता बनकर वापस लौटे और वापस लौटते ही शानदार पारियां खेलीं। वह अपने घर में सबसे छोटे हैं। 2018 में वह पूरी तरह से स्वस्थ होने के बाद दोबारा खेलने उतरे और 2019 में उन्होंने उत्तराखंड की तरफ से कूच बिहार ट्रॉफी में दोहरा शतक लगाकर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। इस टूर्नामेंट के नौ मैच में 805 रन बनाकर वह बीसीसीआइ की अंडर-19 रैंकिंग में पांचवें पायदान पर रहे। 2019-20 में उन्होंने रणजी ट्रॉफी में आखिरी मैच खेला और महाराष्ट्र के खिलाफ शानदार शतक जड़ा। क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड ने कमल को स्कॉलरशिप के लिए चयनित किया। इस समय वे देहरादून में 16 फरवरी से शुरू होने वाले रणजी ट्राफी के लिए Kamal Kanyal जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं।