उत्तराखंड देहरादूनDrugs and liquor worth 6 crore seized in Uttarakhand in 1 month

उत्तराखंड चुनाव: 1 महीने में 4 करोड़ की ड्रग्स जब्त, 2 करोड़ की शराब भी पकड़ी गई

आचार संहिता लागू होने के एक महीने के भीतर प्रदेश में 45,343 लीटर अवैध शराब पकड़ी जा चुकी है। शराब तस्करी में 1,043 लोगों की गिरफ्तारी भी हुई है।

Uttarakhand Police: Drugs and liquor worth 6 crore seized in Uttarakhand in 1 month
Image: Drugs and liquor worth 6 crore seized in Uttarakhand in 1 month (Source: Social Media)

देहरादून: प्रदेश में आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद से उत्तराखंड पुलिस ने 2 करोड़ 27 लाख से ज्यादा की शराब पकड़ी है। चुनाव को लेकर पुलिस सक्रिय है। धन-बल के दुरुपयोग से चुनाव को प्रभावित न किया जा सके, इसके लिए बॉर्डर पर सघन तलाशी अभियान चल रहा है। चेकिंग के दौरान नकदी और नशीले पदार्थों के साथ-साथ करोड़ों की शराब पकड़ी गई है। 9 जनवरी 2022 से 9 फरवरी 2022 के बीच पुलिस ने 45,343 लीटर अवैध शराब पकड़ी। तस्करी में बरामद शराब की कीमत 2 करोड़ 27 लाख 8 हजार रुपये से अधिक आंकी गई है। एक महीने के दौरान प्रदेश में शराब तस्करी के 1,012 मुकदमे दर्ज हुए, साथ ही 1,043 लोगों की गिरफ्तारी भी हुई है। पहाड़ी जिलों में शराब तस्करी रोकना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है। शराब के साथ ही कई जगह मादक पदार्थों की खेप भी पकड़ी गई है। बीते एक महीने में नशीले पदार्थों की तस्करी के मामले में एनडीपीएस एक्ट के तहत 177 मुकदमे दर्ज कर 190 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है।

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इस दौरान आरोपियों के पास से 292 किलोग्राम अवैध मादक पदार्थ पकड़े गए। पकड़ी गई नशा सामग्री की कीमत 4 करोड़ 63 लाख 72 हजार से अधिक आंकी गई है। आर्म्स एक्ट के तहत 215 मुकदमे दर्ज कर 225 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। कार्रवाई के दौरान अब तक 240 अवैध हथियार के साथ 116 जिंदा कारतूस भी बरामद किए गए। निर्वाचन आयोग की टीम ने एक महीने के दौरान 2 करोड़ 79 लाख 89 हजार 210 रुपये कैश भी पकड़ा है। बरामद नकदी में भारतीय करेंसी के साथ 347 यूएस डॉलर और 1900 ऑस्ट्रेलियन डॉलर भी सम्मिलित हैं। बता दें कि साल 2017 के विधानसभा चुनाव में आचार संहिता के दौरान 6 करोड़ 85 लाख की अवैध शराब और कैश पकड़ा गया था। जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में 7 करोड़ 31 लाख रुपए की शराब और नकदी बरामद की गई थी। वर्तमान आंकड़ों से तुलना करें तो एक महीने में ही पिछले सारे रिकॉर्ड पीछे छूट गए हैं, जबकि चुनाव में अभी कुछ वक्त बाकी है।