उत्तराखंड टिहरी गढ़वालMaletha anil kumar joshi news

उत्तराखंड: सिर्फ 1 व्यक्ति ने बनाया विशाल जंगल, मिल सकता है 400 करोड़ का मुआवजा

उत्तराखंड के एक रिटायर्ड अधिकारी इन दिनों पेड़ों को सहेजने की अपनी मुहिम के लिए चर्चा में हैं। चर्चा इसलिए भी है, क्योंकि इनकी मेहनत ने रेलवे जैसे महकमे को घुटनों पर ला दिया है।

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Image: Maletha anil kumar joshi news (Source: Social Media)

टिहरी गढ़वाल: कमर्शियल एक्टिविटिज के चलते उत्तराखंड की वन संपदा खतरे में है। हम पर्यावरण को लेकर चिंता तो जताते हैं, लेकिन करते कुछ नहीं। किसी भी पार्टी ने हाल में संपन्न हुए चुनाव में पर्यावरण संरक्षण को गंभीर मुद्दा नहीं माना। पर्यावरण पर आज बात इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि उत्तराखंड के एक रिटायर्ड अधिकारी इन दिनों पेड़ों को सहेजने की अपनी मुहिम के लिए चर्चा में हैं। चर्चा इसलिए भी है क्योंकि इनकी मेहनत ने रेलवे जैसे महकमे को घुटनों पर ला दिया है। इस रिटायर्ड कृषि अधिकारी ने खाली पड़ी जमीन पर इतने फलदार पौधे लगाए कि पूरा जंगल तैयार हो गया। अब इस जंगल के बीच ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन का काम होना है। अगर रेलवे को लाइन बिछाने के लिए पेड़ काटने पड़े तो इसके लिए रिटायर्ड अधिकारी को पूरे 400 करोड़ का मुआवजा देना होगा। मामला मलेथा का है। जहां पूर्व जिला कृषि अधिकारी अनिल किशोर जोशी ने 34 लोगों की सिंचित जमीन किराए पर ली थी। यहां उन्होंने 7 लाख पौधे शहतूत और 3 लाख अन्य फलदार पौधे लगाए, जो कि अब पेड़ बन गए हैं। साल 2013 में रेलवे ने मलेथा में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन को लेकर सर्वे किया। यहां अब रेलवे स्टेशन बनना है। इस रेलवे लाइन की जद में अनिल किशोर जोशी का जंगल भी आ रहा है। आगे पढ़िए

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नियम के अनुसार जमीन पर जिसकी संपत्ति होती है, मुआवजे का पात्र भी वही होता है। 2017 में रेलवे के विशेषज्ञों के सर्वे के दौरान पता चला कि अनिल जोशी के बगीचे में 714240 शहतूत और 263980 अन्य फलदार पौधे हैं। नियम के अनुसार एक फलदार पौधे का मुआवजा 2,196 रुपये तय है। इस हिसाब से मुआवजा 400 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इतना भारी मुआवजा तय होने के बाद प्रशासन ने अनिल जोशी को बुलाकर कहा कि संतरे के पेड़ के लिए 2,196 रुपये तय है, जबकि शहतूत का पेड़ फलदार वृक्ष नहीं है। इसलिए प्रत्येक पेड़ के लिए 4.50 रुपये के हिसाब से भुगतान किया जाएगा। अनिल हाईकोर्ट पहुंचे तो हाईकोर्ट ने उद्यान विभाग से पूछा कि क्या शहतूत का पेड़ फलदार वृक्ष नहीं है। तब उद्यान विभाग ने उसे फलदार वृक्ष माना। यानी उसका मुआवजा भी बाकी फलदार प्लांट के बराबर होगा। जो कि करीब 4 सौ करोड़ रुपये है। यह देश में व्यक्तिगत मुआवजे की शायद सबसे बड़ी राशि होगी। मामला अब मुआवजे के लिए बने ट्रिब्यूनल में पहुंच गया है।