उत्तराखंड देहरादूनbody of martyr Jagendra Chauhan was brought to Dehradun

देहरादून शहीद जगेन्द्र: आज छुट्टी पर घर आना था, वो तिरंगे में लिपटा आया..बेसुध हुईं मां-पत्नी

Shaheed Jagendra Singh Chauhan 25 फरवरी को घर आने वाले थे। तय दिन पर जगेंद्र घर तो आए, लेकिन तिरंगे में लिपटकर।

Shaheed Jagendra Singh Chauhan Dehradun: body of martyr Jagendra Chauhan was brought to Dehradun
Image: body of martyr Jagendra Chauhan was brought to Dehradun (Source: Social Media)

देहरादून: सेना के जांबाज जवान Shaheed Jagendra Singh Chauhan की अब सिर्फ यादें शेष हैं। महज 35 साल की उम्र में जगेंद्र देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दे गए। सियाचिन ग्लेशियर में लैंड स्लाइडिंग होने के चलते हवलदार जगेंद्र सिंह चौहान शहीद हो गए थे। आज शहीद का पार्थिव शरीर पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनके घर लाया गया। कुछ देर बाद शहीद का पार्थिव शरीर अंतिम संस्कार के लिए हरिद्वार ले जाया जाएगा। जगेंद्र सिंह की शहादत के बाद क्षेत्र में माहौल बेहद गमगीन है।

Story of Shaheed Jagendra Singh Chauhan

परिजनों ने बताया कि जगेंद्र सिंह चौहान 25 फरवरी को घर आने वाले थे। बेटे की छुट्टी मंजूर होने के बाद घर में खुशी का माहौल था, लेकिन चंद दिन पहले यह खुशियां मातम में बदल गई। जगेंद्र घर तो आए, लेकिन तिरंगे में लिपटकर। उनके शहीद होने की सूचना मिलने के बाद पत्नी किरन चौहान और माता विमला चौहान गहरे सदमे में हैं। दोनों रो-रोकर निढाल हो गई हैं।

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शहीद जगेंद्र के विवाह को अभी सिर्फ चार साल हुए थे। बता दें कि सियाचिन ग्लेशियर में लैंड स्लाइडिंग होने से कान्हरवाला निवासी 325 लाइट एडी हवलदार जगेंद्र सिंह चौहान शहीद हो गए थे। दुखद घटना के बाद से परिजन शहीद की पार्थिव देह घर लाए जाने का इंतजार कर रहे थे। शहीद का पार्थिव शरीर 23 फरवरी तक पहुंचने की उम्मीद थी, लेकिन आज शुक्रवार सुबह साढ़े 8 बजे उनका शव पहुंचा। शहीद का पार्थिव शरीर घर में पहुंचते ही परिवार से लेकर गांव तक के लोगों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया। शहीद 325 लाइट एडी हवलदार जगेंद्र सिंह चौहान का परिवार देहरादून के कान्हरवाला में रहता है। वो मूलरूप से टिहरी गढ़वाल के थत्यूड़ ब्लॉक के भनस्वाड़ी गांव के रहने वाले थे। Shaheed Jagendra Singh Chauhan सियाचिन ग्लेशियर में तैनात थे। उनकी शहादत की खबर से उत्तराखंड शोक में डूबा है।