उत्तराखंड अल्मोड़ाStory and track and special things of Jageshwar Dham of Uttarakhand

देवभूमि का ये शिव मंदिर अद्भुत है, यहां जाप से ही टल जाता है मृत्यु का संकट

जागेश्वर को उत्तराखंड का पांचवा धाम कहा जाता है। यहां मंदिरों का निर्माण पत्थरों की बड़ी-बड़ी शिलाओं से किया गया है।

Jageshwar Dham Uttarakhand: Story and track and special things of Jageshwar Dham of Uttarakhand
Image: Story and track and special things of Jageshwar Dham of Uttarakhand (Source: Social Media)

अल्मोड़ा: देवभूमि उत्तराखंड हजारों साल से साधु-संतों की तपस्थली रही है। हर साल लाखों श्रद्धालु उत्तराखंड आते हैं। यहां के पवित्र धामों में दर्शन कर शिवत्व के एहसास को करीब से महसूस करते हैं।

Jageshwar Dham Uttarakhand

आज हम आपको उत्तराखंड के उस शिव धाम के बारे में बताएंगे, जिसमें मृत्यु का संकट टालने की शक्ति है। हम बात कर रहे हैं अल्मोड़ा जिले में स्थित जागेश्वर धाम की। ऐसी मान्यता है कि यहां शिव का जाप करने मात्र से मृत्यु का संकट टल जाता है। महाशिवरात्रि के मौके पर यहां विशाल मेले का आयोजन होता है। इस मौके पर हजारों श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने के लिए जागेश्वर पहुंचते हैं।

Jageshwar Dham Story

जागेश्वर को उत्तराखंड का पांचवा धाम कहा जाता है। कहते हैं कि शिवलिंग पूजन की परंपरा सबसे पहले यहीं पर शुरू हुई थी। यह भी कहा जाता है कि प्राचीन समय में जागेश्वर मंदिर में मांगी गई मन्नतें उसी रूप में स्वीकार हो जाया करती थी। ऐसे में मन्नतों का दुरुपयोग होने लगा। आठवीं सदी में आदि शंकराचार्य यहां आए और उन्होंने मन्नतों के दुरुपयोग को रोकने की व्यवस्था की। यह भी मान्यता है कि भगवान श्रीराम के पुत्र लव कुश ने यहां यज्ञ किया था और उन्होंने ही इन मंदिरों की स्थापना की। जागेश्वर में लगभग 250 छोटे-बड़े मंदिर हैं। जागेश्वर मंदिर परिसर 125 मंदिरों का समूह है। कत्यूरी चंद शासकों के समय बने मंदिरों को सातवीं से 12 वीं शताब्दी के मध्य का बताया जाता है। भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के अनुसार कुछ मंदिर गुप्त काल के बाद निर्मित हुए।

Jageshwar Dham Route

जागेश्वर धाम का निकटवर्ती हवाई अड्डा पंतनगर है। यहां पहुंचने के लिए श्रद्धालु ट्रेन और बस दोनों का इस्तेमाल कर सकते हैं। काठगोदाम तक ट्रेन से पहुंचने के बाद टैक्सी के माध्यम से 135 किलोमीटर दूर स्थित जागेश्वर धाम पहुंचा जा सकता है। यहां मंदिरों का निर्माण पत्थरों की बड़ी-बड़ी शिलाओं से किया गया है। वास्तुकला का यह बेजोड़ नमूना पुरातत्व विभाग के अधीन है।