उत्तराखंड रुद्रप्रयागTourists in Tungnath temple complex even after closing the doors

गढ़वाल: तुंगनाथ मंदिर ये कैसी हरकतें कर रहे हैं पर्यटक? स्थानीय लोगों में गुस्सा

धार्मिक परंपराओं के मुताबिक शीतकाल में बाबा समाधि में लीन रहते हैं, लेकिन पर्यटक मंदिर परिसर में पहुंचकर बाबा केदार की समाधि को भंग कर रहे हैं।

Tungnath temple : Tourists in Tungnath temple complex even after closing the doors
Image: Tourists in Tungnath temple complex even after closing the doors (Source: Social Media)

रुद्रप्रयाग: चारधाम यात्रा फिलहाल बंद है। शीतकाल में यहां पर्यटकों की आवाजाही निषेध रहती है, लेकिन कुछ पर्यटक प्रदेश की धार्मिक परंपराओं का मान नहीं रख रहे।

Tourists in Tungnath temple complex

तृतीय केदार तुंगनाथ में शीतकाल में पर्यटकों की आवाजाही लगातार जारी है, जिस पर हक-हकूकधारी मक्कू गांव के ग्रामीणों ने रोष जताया है। उन्होंने जिला प्रशासन से मंदिर परिसर में लोगों की आवाजाही पर रोक लगाने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि यात्रा बंद होने के बाद भी तृतीय केदार पहुंच रहे पर्यटक बाबा केदार की समाधि भंग कर रहे हैं। यह सही नहीं है। नवंबर में धाम के कपाट बंद हो चुके हैं। इसके बाद भी तुंगनाथ मंदिर क्षेत्र में पर्यटन के नाम पर लोगों की आवाजाही बनी हुई है। पिछले 2 महीने से यहां पर्यटकों की आवाजाही बढ़ी है। पर्यटक बर्फबारी का आनंद लेने के लिए क्षेत्र में पहुंच रहे हैं। ये लोग मंदिर परिसर में भी जा रहे और वहां घंटी बजा रहे हैं, जो कि गलत है।

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शीतकाल में आराध्य भगवान समाधि में लीन रहते हैं। परंपराओं के तहत हिमालय की तलहटी पर स्थित पंच केदार मंदिरों में शीतकाल में मानव का प्रवेश निषेध रहता है, लेकिन पर्यटक इस बात को समझ नहीं रहे। साल 2017-18 में प्रशासन ने शीतकाल में तुंगनाथ मंदिर में होमगार्ड की तैनाती करने की बात कही थी, लेकिन इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई। बीते दो वर्षों में शीतकाल में तुंगनाथ में कई दुकानों के ताले तोड़कर चोरी की घटनाएं हो चुकी हैं। शीतकाल में कपाट बंद होने के बाद भी मंदिर में पहुंच रहे लोग धार्मिक मान्यताएं भंग कर रहे हैं। उधर, मामले को लेकर जिलाधिकारी मनुज गोयल ने कहा कि इस संबंध में केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के डीएफओ को जरूरी निर्देश दे दिए गए हैं। क्षेत्र के ग्रामीणों ने चंद्रशिला जाने वाले पर्यटकों को तुंगनाथ मंदिर परिसर के बजाय अन्य रास्ते से भेजने की मांग भी की है।