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डॉ. निधि उनियाल: कोरोना काल में बिना छुट्टी लिए किया था काम, ईमानदारी की ये सजा मिली?

कोरोना काल में जब हर किसी को अपनी जान बचाने की पड़ी थी, उस वक्त Dr Nidhi Uniyal संक्रमितों के उपचार में दिन रात एक किए हुए थीं।

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Image: People supported Dr Nidhi Uniyal on social media (Source: Social Media)

देहरादून: जिंदगी में कई बार ईमानदारी की भी कीमत चुकानी पड़ती है। इस बात को डॉ. निधि उनियाल से बेहतर भला कौन समझ सकता है। स्वास्थ्य सचिव की पत्नी से हुए विवाद के बाद दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय की सीनियर महिला डॉक्टर का ट्रांसफर अल्मोड़ा कर दिया गया। इसके विरोध में डॉ. निधि उनियाल ने इस्तीफा दे दिया।

People supported Dr Nidhi Uniyal on social media

डॉ. निधि उनियाल के सपोर्ट में पूरा उत्तराखंड एकजुट हो गया है। सोशल मीडिया पर उनके लिए इंसाफ मांगा जा रहा है। मुख्यमंत्री ने भी ट्रांसफर कैंसिल कर मामले की जांच के आदेश दिए हैं। डॉ. निधि उनियाल की गिनती प्रदेश के सबसे काबिल डॉक्टरों में होती हैं। कोरोना काल में जब हर किसी को अपनी जान बचाने की पड़ी थी, उस वक्त डॉ. निधि उनियाल संक्रमितों के उपचार में दिन रात एक किए हुए थीं। परिवार से दूर रहकर दमघोंटू पीपीई किट में ड्यूटी कर रही थीं।

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कोरोना के खतरे से लड़ते हुए उन्होंने कई मरीजों की जिंदगी बचाई। उनकी छोटी से छोटी समस्याओं का ख्याल भी रखा। 3 महीने तक डॉ. निधि ने एक भी छुट्टी नहीं ली और मरीजों की सेवा में जुटी रहीं। गुरुवार को पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर उनका ट्रांसफर कर दिया गया। दरअसल डॉ. निधि उनियाल को स्वास्थ्य सचिव की पत्नी के चेकअप के लिए उनके घर भेजा गया था। आरोप है कि स्वास्थ्य सचिव की पत्नी ने डॉ. निधि उनियाल से बदसलूकी की। बाद में अस्पताल प्रबंधन ने डॉ. निधि उनियाल पर माफी मांगने का दबाव बनाया। इनकार करने पर दोपहर तक उनके ट्रांसफर का आर्डर आ गया। इस बात से आहत Dr Nidhi Uniyal ने इस्तीफा दे दिया। उधर, प्रांतीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा संघ ने इस मामले में तीखी प्रतिक्रिया दी है। संगठन ने कहा कि अस्पताल और ड्यूटी छोड़कर कुछ बड़े लोगों को घर जाकर देखने का पुरजोर विरोध होना चाहिए। गुलामी के खिलाफ आवाज उठाएं और डॉक्टर निधि का समर्थन करें।