उत्तराखंड चमोलीMillions earned from rose cultivation in Chamoli Joshimath

पलायन से लड़ीं जोशीमठ की महिलाएं, गुलाब की खेती से कर रही हैं लाखों में कमाई..जानिए कैसे

स्वरोजगार की नई मिसाल पेश कर रही हैं chamoli के joshimath की महिलाएँ, rose farming से सुधार रही हैं आर्थिकी,200 रुपए प्रति लीटर बिक रहा है गुलाब जल

chamoli joshimath rose farming: Millions earned from rose cultivation in Chamoli Joshimath
Image: Millions earned from rose cultivation in Chamoli Joshimath (Source: Social Media)

चमोली: उत्‍तराखंड के चमोली जनपद के जोशीमठ ब्‍लाक की 50 महिलाएं स्वरोजगार की जीती-जागती मिसाल कायम कर रही हैं और गुलाब के जरिए अपनी आर्थिक सुधार रही हैं। वे गुलाब से स्वरोजगार की जीवंत मिसाल पेश कर रही हैं।

Chamoli Joshimath Rose Farming

चमोली जनपद के जोशीमठ ब्लॉक के जय बदरी विशाल स्वरोजगार समूह से जुड़ी तकरीबन 50 महिलाएं गुलाब फूलों से गुलाब जल निकाल कर उसे बाजार में बेच रही हैं। आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि यह गुलाब जल 200 प्रति लीटर के मूल्य पर बिकता है। यह गुलाब के ताजे फूलों का बना हुआ जल होता है और इसमें किसी भी प्रकार का कोई भी केमिकल ऐड नहीं किया जाता और इसी वजह से लोगों के बीच में इसकी खासी डिमांड है। दरअसल चमोली जिले के सीमांत जोशीमठ विकासखंड में महिलाएं घर पर ही गुलाब की खेती कर घर-परिवार की आर्थिकी संवार रही हैं। यहां 50 से अधिक महिलाएं स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से गुलाब की खेती से जुड़ी हुई हैं। बीते 10 साल में जोशीमठ क्षेत्र की 200 से अधिक महिलाएं इस अभियान का हिस्सा बन चुकी हैं। एरोमेटिक फार्मिंग (सगंध पौध खेती) को अपना कर इन महिलाओं ने अपने आर्थिक हालात सुधारे हैं....और अब ये गुलाब की खेती कर सालाना 10 से 12 लाख रुपये तक कमा रही हैं।इस क्षेत्र में गुलाब के जरिए स्वरोजगार शुरू करने की भी एक अनोखी कहानी है। दरअसल यहां पर गुलाब की खेती तकरीबन 12 साल पहले ही शुरू हुई। जोशीमठ क्षेत्र में जंगली जानवरों के आतंक से परेशान किसानों ने लगभग 12 वर्ष पूर्व खेती में नए प्रयोग करने शुरू किए। वर्ष 2010 में जोशीमठ के पास गणेशपुर गांव की बेलमती देवी ने खेतों की मेड़ पर गुलाब के पौधे लगाए। इससे एक ओर खेतों की मेड़बंदी हुई, वहीं फसलों का सुरक्षा घेरा भी तैयार हो गया। आगे पढ़िए

ये भी पढ़ें:

फिर गुलाब खिलने लगे तो कुछ ग्रामीणों ने यात्रा मार्ग के मंदिरों में उन्हें बेचना शुरू कर दिया। इससे अन्य ग्रामीण भी प्रेरित हुए। एक साल के भीतर 50 से अधिक महिलाएं गुलाब की खेती से जुड़ गईं। और अब वो मंदिरों में फूल बेचने के साथ ही गुलाब जल का कारोबार भी कर रही हैं। यह गुलाब जल 200 प्रति लीटर के मूल्य में बिकता है और बाजार में इसकी खूब डिमांड है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसके अंदर कुछ भी केमिकल नहीं है और यह जल गुलाब के ताजे फूलों से बना हुआ है जो कि पूरी तरह से नैचुरल है। गणेशपुर की बेलमति देवी कहती हैं कि पहली बार यह गुलाब जल स्थानीय बाजार में कम दाम पर बेचा गया था। लेकिन, फिर यहां गुलाब के फूलों से जल निकालने को मशीन उपलब्ध कराकर तकनीकी सहयोग भी दिया गया। इसके बाद पहली बार ग्रामीण महिलाओं ने 50 किलो फूलों से 60 लीटर गुलाब जल निकालकर उसे दिल्ली हाट में बेचा। बताया कि गुलाब जल 200 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बिक जाता है। आज स्थिति यह है कि घर बैठे दिल्ली, मुंबई समेत अन्य स्थानों के खरीदार यहां पहुंचकर गुलाब जल ले जा रहे हैं। वर्तमान में महिलाएं चार हजार लीटर से अधिक गुलाब जल तैयार कर रही हैं।