देहरादून: साल 2016। यही वो समय था जब सत्ताधारी कांग्रेस के 9 विधायकों ने हरीश रावत सरकार से बगावत कर दी थी। विधायक विजय बहुगुणा, हरक सिंह रावत, सुबोध उनियाल, उमेश शर्मा, शैलारानी रावत, शैलेंद्र मोहन सिंघल, प्रदीप बत्रा, कुंवर प्रणव चैंपियन और अमृता रावत जैसे दिग्गजों ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी ज्वाईन कर ली थी।
Rebellion of leaders in Uttarakhand Congress
साल 2016 में हुई बगावत की कड़वी यादें कांग्रेस को एक बार फिर डराने लगी हैं। दरअसल कांग्रेस ने हाल में प्रदेश नेतृत्व में बदलाव किया है, जिसका कई विधायक पुरजोर विरोध कर रहे हैं। अंदरखाने कुछ नाराज विधायकों के बीजेपी के संपर्क में होने की खबरें भी आ रही हैं। हालांकि विधायकों को अपनी विधायकी बचाने की भी चिंता है, क्योंकि दलबदल कानून से बचने के लिए दो तिहाई विधायक एकजुट होने जरुरी हैं। इस बार कांग्रेस के 19 विधायक जीतकर आए हैं। इस तरह से 13 विधायक टूटने पर ही विधायकी बची रहेगी।
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कांग्रेस हाईकमान ने हाल में करण माहरा को प्रदेश अध्यक्ष, यशपाल आर्य को नेता प्रतिपक्ष और भुवन कापड़ी को उपनेता प्रतिपक्ष बनाया है। इनकी ताजपोशी के बाद से बगावत बढ़ती जा रही है। पूर्व में नेता प्रतिपक्ष रहे प्रीतम सिंह भी कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। विधायक हरीश धामी, मनोज तिवारी, मदन सिंह बिष्ट, राजेंद्र भंडारी, ममता राकेश, विक्रम सिंह नेगी, मयूख महर, खुशाल सिंह अधिकारी जैसे विधायक भी नाराज हैं। राजनीति के जानकार इसे प्रेशर पॉलिटिक्स भी कह रहे हैं। उनका कहना है कि अगर नेता प्रतिपक्ष पर कांग्रेस अपने कदम पीछे खींच ले तो विरोध के सुर यहीं रुक सकते हैं। बता दें कि साल 2016 में भी कांग्रेस के 9 विधायकों ने बगावत कर दी थी, तब इन सभी विधायकों को अपनी विधायकी से हाथ धोना पड़ा था। इस बार बगावत के सुर तो उठ रहे हैं, लेकिन कांग्रेस का बागी खेमा विधायकी बचाने के लिए भी प्रयासरत है।