उत्तराखंड देहरादूनForest bungalow to be demolished for Dehradun Delhi Expressway

देहरादून-दिल्ली एक्सप्रेस-वे के लिए टूटेगा ब्रिटिश काल का ऐतिहासिक फॉरेस्ट बंगला

देहरादून में स्थित ब्रिटिशकालीन Forest bungalow को जमींदोज किया जाना है, ताकि यहां Dehradun Delhi Expressway बन सके।

Dehradun Delhi Expressway: Forest bungalow to be demolished for Dehradun Delhi Expressway
Image: Forest bungalow to be demolished for Dehradun Delhi Expressway (Source: Social Media)

देहरादून: ब्रिटिश काल की निशानी के रूप में मशहूर देहरादून का प्रसिद्ध जंगलात बंगला जल्द ही इतिहास के पन्नों में समा जाएगा। 136 साल पहले बनी ये बिल्डिंग टूटने जा रही है।

Forest bungalow will be demolished for Dehradun Delhi Expressway

देहरादून-दिल्ली एक्सप्रेस-वे के लिए इस ब्रिटिश कालीन बंगले को जमींदोज किया जाना है। निर्माण एजेंसी ने फॉरेस्ट बंगले के आसपास ध्वस्तीकरण का काम शुरू भी कर दिया है। ये ऐतिहासिक बंगला सहारनपुर को मोहंड से जोड़ने वाली सड़क पर डाट काली से पहले दाएं हाथ पर स्थित है। सामाजिक कार्यकर्ता विजय भट्ट इस बंगले के इतिहास के बारे में बताते हुए कहते हैं कि देहरादून की सीमा में एंट्री करते ही डाट काली के पास गोरखा शासनकाल में निगरानी चौकी हुआ करती थी। जिस जगह एक्सप्रेस-वे बनना है, वहां साल 1823 तक पगडंडी हुआ करती थी। बाद में यहां रुड़की-देहरा-राजपुर सड़क का निर्माण करवाया गया। अंग्रेजों ने यहां देहरादून और सहारनपुर के सजायाफ्ता कैदियों को लगाकर सड़क बनवाई। उन्होंने ही यहां 1886 में जंगलात का सामान रखने के लिए माल गोदाम, एक बड़ी रसोई और बंगले का निर्माण करवाया था। देश के आजाद होने के बाद भी इस बंगले का रुतबा बना रहा। इसे आशारोड़ी फॉरेस्ट रेस्ट हाउस के नाम से जाना जाता है। आगे पढ़िए

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साल 2007-08 में भी वन विभाग ने इसका रेनोवेशन कराया था, लेकिन घने जंगल के बीच बना ये खूबसूरत बंगला अब इतिहास में दफन होने जा रहा है। पिछले 30 साल से बंगले की रखवाली कर रहे गोपाल भी बेहद दुखी हैं। वो कहते हैं कि अब ऐसा बंगला नहीं बन सकेगा। राजाजी नेशनल पार्क के निदेशक अखिलेश तिवारी का कहना है कि लैंड ट्रांसफर की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। फॉरेस्ट बंगले का अभी मुआवजा नहीं मिला है। इसका करीब डेढ़ करोड़ का प्रस्ताव भेजा गया है। एनएचएआई मुआवजा देगा या नया फॉरेस्ट रेस्ट हाउस बनाकर देगा इस पर अभी फैसला नहीं हो सका है। वहीं दून की ऐतिहासिक पहचान का नामोनिशान मिटाने पर दून रहवासियों में नाराजगी भी है। युवा एक्टिविस्ट हिमांशु चौहान ने कहते हैं कि सरकारों ने हमारी विरासत को संजोने और संवारने में लापरवाही बरती है। इस ऐतिहासिक भवन को बचाया जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। Dehradun Delhi Expressway के लिए इस ब्रिटिश कालीन बंगले को जमींदोज किया जाना है।