नैनीताल: उत्तराखंड के फतेहपुर रेंज में आदमखोर बाघ का आतंक अभी जारी है। बाघ का खौफ थमने का नाम नहीं ले रहा है।
Uttarakhand Fatehpur Range man eater tiger
पिछले कुछ महीनों में एक के बाद एक छह लोगों को आदमखोर बाघ ने अपना शिकार बना डाला। वन विभाग में फतेहपुर रेंज का आदमखोर बाघ को ट्रेंकुलाइज करने के लिए गुजरात से 30 लोगों की टीम को बुलाया था मगर 31 दिन के बाद भी टीम आदमखोर बाघ को पकड़ने में नाकामयाब रही है और 31 दिन के बाद टीम वापस से गुजरात लौट गई है। अब तक केवल कैमरा ट्रैप में ही बाघ के दर्शन हुए हैं। बाघ को ट्रेंकुलाइज करने के लिए अब वन विभाग के डॉक्टर हाथियों से जंगल की गश्त कर रही है। अब तक वन विभाग ने साम-दाम-दंड-भेद सब तरह के प्रयास कर लिए मगर आदमखोर बाघ उनके जाल में नहीं फंसा। वन विभाग ने घटनास्थल के आसपास 80 से भी ज्यादा कैमरे ट्रैप लगाए। इन कैमरा ट्रैप में 4 बाघ दिखाई दिए। इसके बाद वन विभाग के पैरों तले की जमीन खिसक गई क्योंकि इनमें से कौन सा बाघ आदमखोर है इसका अंदाजा अब तक वन विभाग नहीं लगा पाया है। इसके बाद भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून से भी टीम आई और टीम ने कई कैमरा ट्रैप एवं साक्ष्यों के आधार पर बताया की दो आदमखोर बाघ एवं बाघिन हैं जिन्होंने लोगों की जान ली है।
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इसके बाद वन विभाग ने गुजरात से इन बाघों को ट्रेंकुलाइज करने के लिए 30 लोगों की टीम को बुलाया। दरअसल वन विभाग ने यह तय किया कि इन सभी बाघों को ट्रेंकुलाइज किया जाएगा और उसके बाद इनकी जांच की जाएगी। जांच में जो भी आदमखोर गुलदार पाया जाएगा उसको पिंजरे में डाल दिया जाएगा। इसके बाद मुख्यालय ने जामनगर गुजरात से 30 लोगों की एक टीम को भेजा। इस टीम ने 5 अप्रैल को फतेहपुर रेंज पहुंचकर अपना काम करना शुरू किया और अलग-अलग जगह पर पांच मचान बनाए गए इस मचान में टीम अपनी ट्रेंकुलाइजर गन लेकर सुबह से शाम तक बैठी रही लेकिन असफलता हाथ लगी। दो दिन पहले ही टीम वापस जामनगर लौट गई है। आश्चर्य की बात यह है कि आदमखोर बाघ को पकड़ने के लिए कई प्रयास किए जा चुके हैं मगर अभी तक कोई भी प्रयास सफल नहीं हुआ है। वन विभाग की टीम, डॉक्टर की टीम भी लगातार तीन हाथियों की मदद से जंगल में गश्त कर रही है। लोगों को भी अपील की जा रही है कि वह जंगल की तरफ न जाएं।