उत्तराखंड कोटद्वार60 years old sewer line in Kotdwar

कोटद्वार में सबसे बड़ा सिरदर्द बनी 60 साल पुरानी सीवर लाइन, जहां देखो गंदगी ही गंदगी

कोटद्वार में जनसंख्या के अनुरूप सीवर लाइन की क्षमता कम होने के कारण लाइन का चोक होना सामान्य बात हो गई है।

kotdwar sewer line news : 60 years old sewer line in Kotdwar
Image: 60 years old sewer line in Kotdwar (Source: Social Media)

कोटद्वार: कोटद्वार में बदहाल सीवरेज व्यवस्था जल संस्थान की मुश्किलें बढ़ा रही है।

60 years old sewer line in Kotdwar

नगर क्षेत्र में 60 साल से ज्यादा पुरानी सीवर लाइन बार-बार चोक हो रही है। सीवर की गंदगी सड़क पर फैली है, लेकिन समस्या का स्थाई समाधान नहीं मिल रहा। यहां तीन दिन पहले सीवर लाइन फिर चोक हो गई। तब से जल संस्थान सीवर लाइन को खोलने की कोशिश में जुटा है। जनसंख्या के अनुरूप सीवर लाइन की क्षमता कम होने के कारण लाइन का चोक होना सामान्य बात हो गई है। दरअसल 60 के दशक में जब कोटद्वार में सीवर लाइन बिछाई गई थी, उस वक्त शहर की आबादी करीब पांच-सात हजार थी। तब सीवर ट्रीटमेंट के लिए नजीबाबाद रिजर्व फॉरेस्ट के जाफराबाद कक्ष संख्या चार में 40 एकड़ भूमि को 20 साल के लिए लीज पर लिया गया था। वर्ष 1986 में लीज डीड भी समाप्त हो गई। लेकिन लीज रिन्यू न करवाने के बाद भी अभी तक सीवर की पूरी गंदगी बिजनौर वन प्रभाग के जंगलों में ही बह रही है। इधर, पिछले कुछ समय से सीवर लाइन बार-बार चोक हो रही है। आगे पढ़िए

ये भी पढ़ें:

बीते माह नजीबाबाद रोड पर सीवर लाइन चोक होने के कारण करीब एक सप्ताह तक एक मोहल्ले की सड़क में सीवर की गंदगी भरी रही। जैसे-तैसे चोक लाइन को खोला गया, लेकिन अब तीन दिन से ये लाइन फिर चोक है। बता दें कि उत्तराखंड पेयजल निगम ने वर्ष 2002 में 40 किलोमीटर लंबी सीवर लाइन निर्माण को 1024.90 लाख रुपये की कार्ययोजना तैयार की थी, लेकिन योजना परवान नहीं चढ़ सकी। पेयजल निगम ने ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के लिए 2010-11 में ग्राम काशीरामपुर तल्ला में करीब एक हेक्टेयर भूमि का चयन भी किया था। वर्ष 2013 में एक बार फिर 8779.40 लाख का प्रस्ताव सैद्धांतिक स्वीकृति के लिए शासन में भेजा, लेकिन प्रस्ताव को अब तक स्वीकृति नहीं मिली। अब विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण की ओर से नमामी गंगे परियोजना के तहत कोटद्वार की सीवरेज व्यवस्था को मजबूत किए जाने की बात कही जा रही है। उन्होंने कहा कि नमामी गंगे परियोजना से जुड़े अधिकारियों को कोटद्वार की सीवरेज व्यवस्था से संबंधित कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। कार्ययोजना तैयार होने के बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी।