उत्तराखंड हल्द्वानीDelivery took place at the gate of Haldwani Women Hospital

उत्तराखंड: अस्पताल वालों ने गर्भवती को बाहर निकाला, गेट पर मोबाइल की रौशनी में हुआ प्रसव

अस्पताल वाले कह रहे थे बच्चा तिरछा है, लेकिन ऐसा था तो परिजनों ने बिना मेडिकल हेल्प के गेट पर सामान्य प्रसव कैसे कराया। ये भी बड़ा सवाल है।

Haldwani Women Hospital Gate Delivery: Delivery took place at the gate of Haldwani Women Hospital
Image: Delivery took place at the gate of Haldwani Women Hospital (Source: Social Media)

हल्द्वानी: सुरक्षित प्रसव हर महिला का अधिकार है, लेकिन पहाड़ में इसकी बात करना बेमतलब सा लगता है।

Delivery at the gate of Haldwani Women Hospital

कहीं अस्पताल नहीं है, तो कभी एंबुलेंस टाइम पर नहीं पहुंचती। सरकारी अस्पतालों से प्रसूताओं को टरका दिया जाता है। ताजा मामला सीएम पुष्कर सिंह धामी के गृह क्षेत्र खटीमा से जुड़ा है। यहां रहने वाली एक महिला ने हल्द्वानी महिला अस्पताल के गेट पर बच्चे को जन्म दिया। मोबाइल की रौशनी में किसी तरह प्रसव कराया गया। महिला के परिजनों का आरोप है कि उन्हें अस्पताल से भगा दिया गया। ठीक से जांच तक नहीं की गई। दर्द अधिक बढ़ने पर अस्पताल के गेट पर खुले में मोबाइल की रोशनी में प्रसव हुआ। अस्पताल वाले कह रहे थे बच्चा तिरछा है, लेकिन ऐसा था तो परिजनों ने बिना मेडिकल हेल्प के गेट पर सामान्य प्रसव कैसे कराया? उत्तराखंड में एंबुलेंस और सड़कों पर प्रसव की खबरें आम हो गई हैं। बीते हफ्ते चौखुटिया व रामनगर में एंबुलेंस में प्रसव के मामले सामने आए थे। अब खटीमा निवासी 22 वर्षीय प्रीति अस्पताल की लापरवाही की शिकार बनी है। खटीमा के टेड़ाघाट निवासी मनोज कुमार प्रसव के लिए प्रीति को पहले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए थे। आगे पढ़िए

ये भी पढ़ें:

अस्पताल वालों ने सिजेरियन की सलाह दी। इसके लिए निजी अस्पताल वालों ने 30 हजार रुपये मांगे। मनोज के पास पैसे नहीं थे। तब वो पत्नी को हल्द्वानी के डॉ. सुशीला तिवारी अस्पताल ले आया। रात के ढाई बज चुके थे। मनोज का कहना है कि अस्पताल के डॉक्टरों ने हमें भगा दिया। कहा कि प्रसूता को कहीं और ले जाओ। रात के वक्त हम कहां जाते। पत्नी दर्द से तड़प रही थी, लेकिन संवेदनहीन अस्पतालकर्मियों का कलेजा नहीं पसीजा। इतने में उसके साथ आई मां ने उसे बुलाया और मोबाइल से रोशनी करने को कहा। इस तरह गेट पर ही डिलीवरी कराई गई। बाद में सूचना मिलने पर दो नर्स महिला और बच्चे को अस्पताल के भीतर ले गईं। मनोज ने कहा कि हम मजबूरी में यहां आए थे, लेकिन अस्पताल वालों ने बच्चे की स्थिति का हवाला देकर हमें भगा दिया। वहीं मामले को लेकर महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. ऊषा जंगपांगी का कहना है कि घटना रात की है और मुझे दोपहर में सूचना मिली। इस घटना पर डॉक्टर व स्टाफ से स्पष्टीकरण मांगा गया है। इसके बाद कार्रवाई की जाएगी।