उत्तराखंड हरिद्वारSupply of drugs and code words in Uttarakhand Kanwar Yatra

उत्तराखंड कांवड़ यात्रा में सबसे ज्यादा सप्लाई होता है गांजा, चरस, स्मैक..हर नशे का है कोड वर्ड

कांवड़ यात्रा के समय हरिद्वार में सबसे अधिक होती है नशे की तस्करी, खरीदारी के लिए होता है कोड वर्ड का इस्तेमाल

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Image: Supply of drugs and code words in Uttarakhand Kanwar Yatra (Source: Social Media)

हरिद्वार: सावन के दौरान आने वाला महाशिवरात्रि का पर्व लोगों की आस्था से जुड़ा होता है मगर हरिद्वार में सावन के दौरान नशे की तस्करी काफी अधिक बढ़ जाती है।

Supply of drugs and code words in Uttarakhand Kanwar Yatra

यहां तक कि धर्मनगरी में खुलेआम नशे की तस्करी होती है। कांवड़ यात्रा के दौरान हरिद्वार में कोड वर्ड में नशे की तस्करी की जाती है। कोरोनाकाल के चलते दो साल से कांवड़ यात्रा बंद रही। लेकिन इस साल कांवड़ यात्रा शुरू होने से पहले ही नशा तस्करों ने तस्करी शुरू कर दी है। दरअसल श्रावण माह में धर्मनगरी में नशे के तस्कर भी सक्रिय हो जाते हैं। गलियों से लेकर घाटों तक गांजा, चरस और स्मैक की बिक्री बढ़ जाती है। धर्मनगरी में अधिकतर असम, उड़ीसा और आंध्र प्रदेश से चरस, गांजा और अफीम की तस्करी होती है। आगे पढ़िए

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कोरोनाकाल के चलते दो साल से कांवड़ यात्रा बंद रही। लेकिन इस साल कांवड़ यात्रा शुरू होने से पहले ही नशा तस्करों ने तस्करी शुरू कर दी है। यहां चरस और गांजा की पुड़िया महिलाएं और बच्चे बेचते हैं और वे कोड वर्ड का इस्तेमाल करते हैं। धर्मनगरी में चवन्नी, अठन्नी और रुपया गांजा के लिए कोड वर्ड के रूप में इस्तेमाल होता है। वहीं पुलिस ऐसे लोगों के ऊपर कड़ी नजर रख रही है। हरिद्वार के एसएसपी योगेंद्र यादव का कहना है कि मादक पदार्थों की तस्करी करने वालों का कड़ी नजर रखी जा रही है। नगर कोतवाली पुलिस ने हाल ही में बड़ी खेप पकड़ी थी। कांवड़ यात्रा में किसी भी हाल में मादक पदार्थ नहीं बिकने दिया जाएगा।